श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 143 ☆
☆ मुक्तक – ।। ऐ जिंदगी तेरा अभी कुछ कर्ज़ चुकाना बाकी है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
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=1=
जिंदगी अभी चल कि प्रभु कर्ज चुकाना बाकी है।
किसी पराए का भी कुछ दर्द मिटाना बाकी है।।
रिश्तों की तुरपाई करनी है वैसी ही मिल कर।
ईश्वर के शुकराने में भी सिर झुकाना बाकी है।।
=2=
किसी के उदर कीआग अभी बुझाना बाकी है।
नई-नई पीढ़ी को भी सही राह सुझाना बाकी है।।
बहुत ही काम कर लिया जीवन के इस सफर में।
लेकिन फिर भी कुछ नया करके दिखाना बाकी है।।
=3=
जीवन की राहों में गाँठे अभी सुलझाना बाकी है।
हँसते-हँसते हुए अभी रूठना मनाना बाकी है।।
छूट गया जो भी जीवन की लंबी सी दौड़ में।
तिनका-तिनका जोड़ कर उसको जुटाना बाकी है।।
=4=
दिल की अधूरी बात अभी सबको सुनाना बाकी है।
किसी रोते हुए को भी हमें अभी हँसाना बाकी है।।
जो मिली अनमोल वरदान सी यह एक जिंदगी।
उस जिंदगी का रह गया फ़र्ज़ अभी निभाना बाकी है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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