सौ. सुजाता काळे
(सौ. सुजाता काळे जी मराठी एवं हिन्दी की काव्य एवं गद्य विधा की सशक्त हस्ताक्षर हैं। वे महाराष्ट्र के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कोहरे के आँचल – पंचगनी से ताल्लुक रखती हैं। उनके साहित्य में मानवीय संवेदनाओं के साथ प्रकृतिक सौन्दर्य की छवि स्पष्ट दिखाई देती है। आज प्रस्तुत है सौ. सुजाता काळे जी द्वारा प्रकृति के आँचल में लिखी हुई एक अतिसुन्दर भावप्रवण कविता “ तू चल, चल लक्ष्य की ओर…..!! ”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कोहरे के आँचल से # 33 ☆
☆ तू चल, चल लक्ष्य की ओर…..!! ☆
तू कर प्रयास और पा सफलता
न मिले सफलता तो तू कर प्रयास
अर्जुन बन कर तू भेद चक्षु को
मत्स की ओर समर्पण कर जा
तू चल, चल लक्ष्य की ओर…..!!
तू भेद बाणों की वर्षा से
और खिंच प्रंत्यचा साहस से
एकलव्य बन तू भेद आकाश
जब तक लगे ना घाव वहाँ
कोई मिले ना गुरू यहाँ
तू चल, चल लक्ष्य की ओर…..!!
© सुजाता काले
पंचगनी, महाराष्ट्र, मोबाईल 9975577684