इंजी विनोद ‘नयन’
ई-अभिव्यक्ति में इंजी विनोद ‘नयन’ जी का हार्दिक स्वागत है। आप हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं जिनमें गजल, गीत, लेख, कविता आदि प्रमुख हैं। आप की रचनाएँ प्रादेशिक / राष्ट्रीय प्रतिष्ठित पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित तथा आकाशवाणी/दूरदर्शन से प्रसारित होती रहती हैं । आप कई प्रादेशिक/राष्ट्रीय पुरस्कारों /अलंकारणों से पुरस्कृत /अलंकृत हैं। आप संस्कारधानी जबलपुर की प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘प्रसंग ‘ के संस्थापक हैं । आज प्रस्तुत है आपकी एक ग़ज़ल आप सबके समक्ष.
☆ एक ग़ज़ल आप सबके समक्ष ☆
अब तो मुश्किल हई है डगर देखिए
साजिशों से भरा है नगर देखिए
गीत गुमसुम हैं ग़ज़लें परेशान हैं
कैसा है ये अदब का शहर देखिए
यार का जिसमें दीदार हो आपको
बस वही आइना उम्र भर देखिए
ज़िन्दगी को न इक पल सुकूॕ मिल सका
रास्ते हैं सभी पुरख़तर देखिए
ख़ूंन-ए-इंसा की कीमत नहीं है यहाँ
ज़िल्लतों से भरा है शहर देखिए
पहले जैसा इबादत का जज्बा नहीं
है दुआ इसलिए बे-असर देखिए
लोग हाथों में पत्थर लिये हैं नयन
हो सके तो जरा अपना सर देखिए
© इंजी विनोद ‘नयन’
विजय नगर, जबलपुर (मध्य प्रदेश )
शानदार