प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा रचित – “कविता – हम सब हैं भारत के वासी…” । हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे.।)
☆ काव्य धारा # 214 ☆
☆ शिक्षाप्रद बाल गीत – हम सब हैं भारत के वासी… ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆
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स्मिथ, राजिन्दर ,उस्मानी, वेंगल, नानू, गोपीनाथ
आओ, आओ, हाथ मिलाओ, हिलमिल हम सबको लें साथ ॥
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भारत माँ हम सबकी माता, हम भारत माता के लाल ।
मिलजुल कर सब साथ चलें तो कर सकते हैं बड़े कमाल ॥
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जिनने की है बड़ी तरक्की उनमें है भारत का नाम ।
पर अब भी आगे बढ़ने को करने हैं हमको कई काम ॥
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गाँधीजी ने दी आजादी नेहरूजी ने दिया विकास ।
अब भी दूर गाँव तक शिक्षा का फैलाना मगर प्रकाश ॥
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खेल कूद शिक्षा श्रम संयम अनुशासन साहस विज्ञान
का प्रसार करके समाज में रखना है भारत का मान ॥
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बढ़ें प्रेम से हम समान सब, तो हो अपना देश महान् ।
भारत की दुनिया में उभरे अपनी एक अलग पहचान
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माँ आशा जग उत्सुकता से देखो हमको रहा निहार ।
यही विविधता में भी एकता है अपने सुख का आधार ॥
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हम सब हैं भारत के वासी, सबके हैं समान अधिकार ।
सबको मिलकर के करना है बापू के सपने साकार ॥
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© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी भोपाल ४६२०२३
मो. 9425484452
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈