श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता संत रैदास…”।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 208 ☆

☆ # “संत रैदास…” # ☆

जो मनुष्य मनुष्य में भेद करें

वह कैसा है धर्म

देह  है तो मिट जाते हैं

रह जाते हैं कर्म

 

जात-पात को छोड़िए

यह है सब बकवास

इन रूढ़ियों को तोड़िए

तब खत्म होगा वनवास

 

जीवन भर जिसने दुत्कारा

ना कभी आंसू पोंछा

ना प्रेम से पुचकारा

जिन्होंने किया सदा प्रताड़ित

वह सिखा रहे हैं भाईचारा

 

कल तक छूना भी पाप था

साया पड़ जाए तो अभिशाप था

तिरस्कृत थे सब वाल्मीकि

संत रविदास उनका ही तो बाप था

 

अब आप सबको जागना होगा

इस पाखंड को त्यागना होगा

तोड़कर गुलामी की जंजीरें

सत्य के मार्ग पर भागना होगा

 

आज समय की पुकार है

भविष्य में बस अंधकार है

यह जंग है सदियों पुरानी

अब लड़नी आर पार है

 

सबसे पहले शिक्षित बनिए

उसके बाद संगठित बनिए

भुलाकर आपस के मतभेद

अधिकारों के लिए संघर्ष करिए

 

स्वाभिमान से जीना है तो

लड़ना होगा

उच्च शिक्षा लेकर आगे बढ़ना होगा

छीनकर अपने अधिकारों को

नया इतिहास गढ़ना होगा

 

आइये हम सब मिलकर मनाएं

रविदास जयंती का यह पर्व

हम सब रविदास जी के वंशज है

हम सबको है गर्व

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  ≈

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