श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 151 ☆
☆ गीत – ।मानवता को महका दे भारत का गर्व होली है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
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दिलों को जो प्रेम से रंगा दे वह त्यौहार होली है।
नफरत को मिटा दे और मीठी हो जाती बोली है।।
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लोग छूटे भूले बिसरे भी मिल जाते हैं होली में।
पत्थर में भी प्रेम के फूल खिल जाते हैं होली में।।
छोटे बड़े का भेद मिटा दे वह त्यौहार होली है।
दिलों को जो प्रेम से रंगा दे वह त्यौहार होली है।।
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रंगारंग रंगोली के रंग गिरते हैं सबकी झोली में।
काले नीले पीले सब चलते हैं मिल कर टोली में।।
भांग ठंडाई जो दुनिया भुला दे वो त्यौहार होली है।
दिलों को जो प्रेम से रंगा दे वह त्यौहार होली है।।
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होलिका दहन में भस्म हो जातें हैं सब ही राग द्वेष।
बन जाती सब की एक बोली और एक जैसा भेष।।
दूरियों की दीवारों कोआग लगा दे वो त्यौहार होली है।
दिलों को जो प्रेम से रंगा दे वह त्यौहार होली है।।
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गले से गले दिल से दिल मिलाने का पर्व होली है।
सदियों से चला आ रहा भारत का गर्व होली है।।
जो सारी मानवता को महका दे वो त्यौहार होली है।
दिलों को जो प्रेम से रंगा दे वह त्यौहार होली है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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