श्री एस के कपूर “श्री हंस”

 

☆ “श्री हंस” साहित्य # 152 ☆

☆ मुक्तक – ।। बस दुआओं के चिराग दिल में जलाए रखिए।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

=1=

बस दुआयों   के  चिराग जलाए  रखिए।

सब की  राह   में  फूल बिछाए  रखिए।।

एक ही  मिली  है  यह अनमोल जिंदगी।

बस दिलों से   दिलों को मिलाए  रखिए।।

=2=

कभी-कभी किसीकी गलती छुपाए   रखिए।

बिगड़ी बात हो फिर  भी  बनाए   रखिए।।

दिल रखो  अपना आप  एक दरिया जैसा।

जितना हो खुशियों के मोती लुटाए   राखिए।।

=3=

मुश्किलों में भी पाँव  अपने जमाए राखिए।

दुःखों मे भी हौंसला अपना बनाए   रखिए।।

सुख दुख तो जीवन केअंग होते हैं हमेशा ही।

बस हिम्मत से कदम हमेशा बढ़ाए   रखिए।।

=4=

हमेशा प्यार की  लगन को लगाए  रखिए।

रूठों को भी  हमेशा अपना बनाए  रखिए।।

मोहब्बत का लेन- देन  कारोबार हो आपका।

स्नेह प्रेम मूरत हमेशा  दिल में बसाए रखिए।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments