सुश्री निशा नंदिनी भारतीय 

(सुदूर उत्तर -पूर्व  भारत की प्रख्यात  लेखिका/कवियित्री सुश्री निशा नंदिनी जी  के साप्ताहिक स्तम्भ – सामाजिक चेतना की अगली कड़ी में  प्रस्तुत है  अक्षय तृतीया पर्व पर विशेष कविता अक्षय हो संस्कार ।आप प्रत्येक सोमवार सुश्री  निशा नंदिनी  जी के साहित्य से रूबरू हो सकते हैं।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सामाजिक चेतना  #46 ☆

☆  अक्षय तृतीया विशेष – अक्षय हो संस्कार  ☆

 

अक्षय तृतीय पर

हम करते हैं कामना

धन-संपत्ति अक्षय होने की

सुख-शांति अक्षय होने की

रिश्ते-परिवार अक्षय होने की

नहीं करते हम कामना

संस्कृति-संस्कार, भक्ति

अक्षय होने की

हो गई अगर भक्ति अक्षय

सुसंस्कार-संस्कृति अक्षय

मिलेगा सुख-शांति चैन

धन-संपदा मिल जाएगी

बचेंगे रिश्ते टूटने से

व्यक्ति-व्यक्ति से जुड़ जायेगा

परिवार, समाज व देश बनेगा

भ्रष्टाचार मिट जाएगा।

दुर्गुणों से दूर होकर

काम, क्रोध, लोभ, मोह

डर कर छिप जाएगा,

सबसे बड़ा धन संतोष

जीवन में आ जाएगा।

भक्ति संस्कार-संस्कृति ही

जड़-जीवन की आधार शिला

हे प्रभु ! करो कुछ ऐसा

इस अक्षय तृतीया पर

अक्षय हो संस्कार-संस्कृति

भ्रमण करें धरती पर

बेल फैले सुकर्मों की

रचना हो रामराज्य की।

 

© निशा नंदिनी भारतीय 

तिनसुकिया, असम

9435533394

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