आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक पूर्णिका – सत्-शिव भज पा परमानंद।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 231 ☆
☆ पूर्णिका – सत्-शिव भज पा परमानंद ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆
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प्रभु को भज पा परमानंद
गुरु पद रज पा परमानंद
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पंचतत्व-पंचेंद्रिय देह
पंचामृत पा परमानंद
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बहा स्वेद, कर श्रम-पूजन
कलरव सुन पा परमानंद
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नदी जननि रखना निर्मल
पौध लगा पा परमानंद
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जा दरिद्र नारायण तक
सेवा कर पा परमानंद
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कविता शारद की बिटिया
चरण-शरण पा परमानंद
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शब्द ब्रह्म आराधन कर
सत्-शिव भज पा परमानंद
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© आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
१५.४.२०२५
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