श्री आशीष कुमार
(युवा साहित्यकार श्री आशीष कुमार ने जीवन में साहित्यिक यात्रा के साथ एक लंबी रहस्यमयी यात्रा तय की है। उन्होंने भारतीय दर्शन से परे हिंदू दर्शन, विज्ञान और भौतिक क्षेत्रों से परे सफलता की खोज और उस पर गहन शोध किया है। अब प्रत्येक शनिवार आप पढ़ सकेंगे उनके स्थायी स्तम्भ “आशीष साहित्य”में उनकी पुस्तक पूर्ण विनाशक के महत्वपूर्ण अध्याय। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है एक महत्वपूर्ण एवं ज्ञानवर्धक आलेख “अंतिम ज्ञान”। )
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ आशीष साहित्य # 49 ☆
☆ अंतिम ज्ञान ☆
मनुष्यों में, उम्र का बढ़ना मानव शरीर में परिवर्तन का प्रतिनिधित्व होता है, जिसमें शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक परिवर्तन शामिल होता है । लेकिन अभी भी उम्र बढ़ने का कारण वैज्ञानिकों के लिए अज्ञात है । उम्र बढ़ने का सबसे करीबी सिद्धांत बाहरी रूप से DNA विभाजन या ऑक्सीकरण होता है, जो जैविक प्रणाली को विफल कर सकता है या आंतरिक प्रक्रिया जैसे DNA टेलीमीटर के छोटे होने का कारण बन सकता है । कुछ प्रजातियों को अमर माना जा सकता है, उदाहरण बैक्टीरिया जो पुत्री कोशिकाओं के उत्पादन करने के लिए जिम्मेदार है या जानवरों में जीनस हाइड्रा, जिनकी पुनर्जागरण क्षमता होती है जिससे वे बुढ़ापे से बचते हैं ।
संक्षेप में, बस इतना समझें ले कि सामान्य मानव कोशिका लगभग 50 कोशिका विभाजन के बाद मर जाती है । अगर किसी भी तरह से हम इसे अनंत बना सके या क्षतिग्रस्त कोशिका की मरम्मत करके इसे जैसी थी वैसी ही बना सके, तो व्यक्ति की उम्र रुक जाएगी ।
© आशीष कुमार
नई दिल्ली
अच्छी रचना