सौ. सुजाता काळे
(सौ. सुजाता काळे जी मराठी एवं हिन्दी की काव्य एवं गद्य विधा की सशक्त हस्ताक्षर हैं। वे महाराष्ट्र के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कोहरे के आँचल – पंचगनी से ताल्लुक रखती हैं। उनके साहित्य में मानवीय संवेदनाओं के साथ प्रकृतिक सौन्दर्य की छवि स्पष्ट दिखाई देती है। आज प्रस्तुत है सौ. सुजाता काळे जी द्वारा प्राकृतिक पृष्टभूमि में रचित एक अतिसुन्दर भावप्रवण कविता “पत्थर में एक किरदार”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कोहरे के आँचल से # 41 ☆
☆ पत्थर में एक किरदार ☆
हर पत्थर में एक चेहरा दिखता है
कोई हरा, कोई नीला
और कोई लाल दिखता है।
कोई श्वेत, कोई श्याम
और कोई पीला दिखता है।
हर पत्थर में एक चेहरा दिखता है।
हर चेहरा ओढ़े हैं एक मुखौटा
मुझे हर पत्थर में एक किरदार दिखता है।
कुछ अजीब सा नशा है रंगीन पत्थरों में
‘सांज’ हर किरदार मुझे अपना सा लगता है।
हर पत्थर में एक चेहरा दिखता है।
© सुजाता काळे
पंचगनी, महाराष्ट्र, मोबाईल 9975577684
पत्थरमें भी चेहरा या किरदार ढुंढ़ने कला!! खुपच सुंदर!!!
महोदय, धन्यवाद ।
भावपूर्ण अभिव्यक्ति