आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी रचना गीत हूँ मैं. )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 15 ☆
☆ गीत हूँ मैं ☆
सावनी मनुहार हूँ मैं
फागुनी रसधार हूँ मैं
चकित चंचल चपल चितवन
पंचशर का वार हूँ मैं
विरह में हूँ, मिलन में हूँ
प्रीत हूँ मैं
तीर हूँ, तलवार हूँ मैं
ऊष्ण शोणित-धार हूँ मैं
हथेली पर जान लेकिन
शत्रु काँपे काल हूँ मैं
हार को दूँ हार, जय पर
जीत हूँ मैं
सत्य-शिव-सुंदर सृजन हूँ
परिश्रम कोशिश लगन हूँ
आन; कंकर करूँ शंकर
रहा अपराजित जतन हूँ
शुद्ध हूँ, अनिरुद्ध शाश्वत
नीत हूँ मैं
जनक हूँ मैं-जननि लोरी
भ्रात हूँ मैं, भगिनि भोरी
तनय-तनया लाड़ हूँ मैं
सनातन वात्सल्य डोरी
अंकुरित पल्लवित पुष्पित
रीत हूँ मैं
भक्त हूँ, भगवान हूँ मैं
भगवती-संतान हूँ मैं
शरण देता, शरण लेता
सगुण-निर्गुण गान हूँ मैं
कष्ट हर कल्याणकर्ता
क्रीत हूँ मैं
© आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,
चलभाष: ९४२५१८३२४४ ईमेल: [email protected]
अच्छी रचना
शानदार गीत