डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(अग्रज एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी जीवन से जुड़ी घटनाओं और स्मृतियों को इतनी सहजता से लिख देते हैं कि ऐसा लगता ही नहीं है कि हम उनका साहित्य पढ़ रहे हैं। अपितु यह लगता है कि सब कुछ चलचित्र की भांति देख सुन रहे हैं। आप प्रत्येक बुधवार को डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’जी की रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज के साप्ताहिक स्तम्भ “तन्मय साहित्य ” में प्रस्तुत है एक बाल कविता उड़नखटोला….. )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – तन्मय साहित्य # 57 ☆
☆ एक बाल कविता – उड़नखटोला….. ☆
उड़न खटोला नाम पुराना
अब कहते हैं एरोप्लेन
उड़े हवा में, दूर-दूर तक
ज्यों उड़ते पंछी दिन-रैन
भारी भरकम पंखे इसके
दाब हवा का खूब बनाते
यंत्र महीन लगे इसमें जो
नभ में इसको दिशा दिखाते,
पल में, गोआ से दिल्ली
दिल्ली से पहुंचा दे उज्जैन।
उड़न खटोला नाम पुराना
अब कहते हैं एरोप्लेन।।
एक देश से, देश दूसरे
शीघ्र हमें सकुशल पहुंचाए
घंटों की दूरी मिनटों में
सात समंदर पार कराए
,सेवाएं ‘एयर होस्टेस’ की
सबके मन को देती चैन।
उड़न खटोला नाम पुराना
अब कहते हैं एरोप्लेन।।
पगडंडी से सड़क, सड़क से
पटरी, पटरी से आकाश
चाँद पे पहुंचा मानव
यूं चौतरफा होने लगा विकास
हो जाते हैं चकित देखकर
यह अद्भुत विज्ञान की देन।
उड़े हवा में, दूर-दूर तक
ज्यों उड़ते पंछी दिन-रैन
उड़न खटोला नाम पुराना
अब कहते हैं एरोप्लेन।।
© डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
07/06/2020
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश
मो. 9893266014
अच्छी रचना