सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा
(सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी सुप्रसिद्ध हिन्दी एवं अङ्ग्रेज़ी की साहित्यकार हैं। आप अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय /प्रादेशिक स्तर के कई पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत /अलंकृत हैं । हम आपकी रचनाओं को अपने पाठकों से साझा करते हुए अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार शीर्षक से प्रत्येक मंगलवार को हम उनकी एक कविता आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। आप वर्तमान में एडिशनल डिविजनल रेलवे मैनेजर, पुणे हैं। आपका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है।आपकी प्रिय विधा कवितायें हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण रचना “आंधी”। )
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार # 46 ☆
जब पता होता है ना
कि हम सही पथ पर हैं
और सच्चाई हमारी साथी है,
तो ज़हन के भीतर
एक आंधी सी चलने लगती है
जो हर अंग को जोश और उत्साह से
रंगीन गुब्बारे की तरह भर देती है,
खोल देती है सारे दरवाज़े
जो वक़्त ने बंद कर दिए होते हैं,
लॉक डाउन कर देती है
सभी नकारात्मक विचारों का
और दिमाग के सारे तालों की
चाबी ढूँढ़ लाती है!
‘गर तुम्हें अपने पर
पूरा भरोसा है
तो चल जाने दो आंधी,
बिना किसी डर के और भय के!
पहले बड़ी उथल-पुथल होगी,
पर फिर धीरे-धीरे
जैसे-जैसे आंधी थमेगी
सब हो जाएगा साफ़!
हो सकता है
तब तुम झूलने लगो
धनक के सात रंगों के झूलों पर!
© नीलम सक्सेना चंद्रा
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अति सुन्दर रचना