डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे … चाँद।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 206 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे … चाँद ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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चाँद देखता चाँदनी, लगी मिलन की आस।
मिलजुल कर कब साथ हो, आए दिन वह पास।।
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देख रहा है चाँद तो, बस चकोर की ओर।
नजर नजर से कह रही, हुई सुहानी भोर।।
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चंद्रमुखी को देखकर, चाँद हुआ बेचैन।
कब होगा अपना मिलन, कब आएगा चैन।।
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शरद सुहानी आ गई, छाई पूनम रात।
रखना बाहर खीर तुम, रात अमृत बरसात।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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