श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है । प्रस्तुत है साप्ताहिक स्तम्भ की अगली कड़ी में श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी का एक सटीक व्यंग्य एक श्वान के वेदनामय स्वर। )
☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 62 ☆
☆ व्यंग्य – एक श्वान के वेदनामय स्वर ☆
थैंक्यू आदरणीय जी…आपने अपने ‘मन की बात’ में देशी श्वानों को मान सम्मान देते हुए राष्ट्र के हर नागरिक को प्रेरणा दी कि वे देशी श्वान पालें, क्योंकि देशी श्वान पालने का खर्च भी कम बैठता है। आप महान हैं, ‘सबका साथ सबका विकास’ वाले व्यक्तित्व हैं और सबके अच्छे दिन लाने में आपका अटूट विश्वास है। हम सब देशी श्वान आपकी दिल से तारीफ करते हुए आपको धन्यवाद देते हैं। अभी तक हमने दुनिया में ऐसा प्रधानमंत्री नहीं देखा जैसे आप हो, इसीलिए हम सब श्वान गौरव महसूस कर रहें हैं। अधिकांश प्रधानमंत्री विदेशी कुत्ता पालने में विश्वास करते हैं एक अकेले आप ऐसे हैं जो देसी कुत्ता पालने की सलाह देते हैं, और देशी श्वानों के अच्छे दिन लाने जैसे प्रयास करते हैं। हर पल आप तरह-तरह से नये रिकॉर्ड बना देते हैं। आप में विश्व गुरु बनने के सारे गुण हैं। आप हमारे माई बाप हैं जो हमारा इतना ध्यान रखते हैं, और हमारा महत्त्व समझते हैं वरन् पिछले सत्तर सालों से यहां का हर नागरिक हमें पत्थर मारता रहा और विदेशी कुत्ता पालता रहा।आप खुद सोचिए कि पूरे देश में विदेशी श्वान पालने में सत्तर साल में कितने करोड़ अरबों रुपए खर्च हो गए होंगे,इतने रुपयों में तो पूरी गरीबी दूर हो जाती और सबको रोजगार मिल जाता।आप तो अच्छे से जानते हैं कि विदेशी श्वानों के कितने नखरे होते हैं चाहे वो चीन का श्वान हो, चाहे कहीं और का…..।
आप क्रांतिकारी प्रधानमंत्री हैं, विश्व गुरु बनने की तैयारी में हैं इसलिए ऐसे विस्फोटक निर्णय लेने में आपका जबाव नहीं। आपने मन की बात में श्वानों के साहस और देशभक्ति की जो तारीफ की,उसी दिन से देश भर के गली गली मोहल्लों में अब लड़के और शराबी देशी श्वानों को पत्थर मारने में संकोच करने लगे हैं, आप सही में गजब के आदमी हैं, इसीलिए हम लोग भी हर गली मोहल्लों में शेर जैसा सिर उठाकर घूमने लगे हैं और कोई सफेद कपड़े वाला ‘हाथ’ दिखाता है तो हम गुर्राने में संकोच नहीं करते हैं। सच्ची बात तो जे है कि अब विदेशी कुत्ते वाले मालिक हमसे जलने लगे हैं। पहले जब विदेशी कुत्ते लघुशंका और दीर्घ शंका के लिए सड़क पर आते थे तो उनका मालिक हमारे ऊपर पत्थर मारता था हालांकि विदेशी कुतिया हमें देखकर पूंछ हिलाती थी पर मालिक का अहंकार आड़े आ जाता था, विदेशी कुतिया को देखकर हम ललचाते भी थे। भाई गजब हुआ एक ही दिन से गजब का क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिला कि अब बड़े बंगलों की मेडमे भी बड़े प्यार से बुलाकर हमें रोटी खिलाने लगीं हैं, अब वे सब हमें स्ट्रीट डाग कहने में संकोच करने लगीं हैं, चूंकि यह देशी श्वान पालने की सलाह राष्ट्रीय स्तर से दी गई है इसीलिए देश के हर नागरिक का मूड देशी नस्ल का श्वान पालने का बन गया है,हर फील्ड में हमें आत्मनिर्भर बनना है।
हमें आपको बताने में थोड़ा संकोच हो रहा है पर बताना भी जरूरी है कि पिछले बहुत सालों से देश में चल रहे श्वान नसबंदी कार्यक्रम से हमारी जनसंख्या घटती जा रही है। देश का करोड़ों अरबों रुपया श्वानों के बधियाकरण के काम में लगे लोग लूट रहे हैं।हर नगरनिगम और नगरपालिका में श्वानों के बधियाकरण के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। एक शहर में तो … एक बड़े अधिकारी की मेडम ने जुगाड़ लगाकर बधियाकरण का ठेका लिया और पिछले दो साल में बधियाकरण के नाम पर टुकड़े टुकड़े में दो करोड़ रुपए के बिल पास करा चुकी है,हर अधिकारी, महापौर, मंत्री के पास प्रर्याप्त कमीशन पहुंचा दिया जाता है और एक मंत्री जी को तो मेडम ने गिफ्ट में झबरा विदेशी कुत्ता भी दिया है।
सर जी, ये मेडम हम देशी श्वानों की नसबंदी बेरहम तरीके से कराती है जिससे हमारे भाई लोगो की मौत भी हो जाती है। इस मेडम ने एक खण्डहरनुमा कमरा किराए पर लिया है जिसकी छत जर्जर और दरवाजे टूटे हुए हैं, बारिश के रिसते पानी में जंग लगे औजारों व अव्यवस्थाओं के बीच हमारे श्वान भाईयों बहनों की नसबंदी करवाती है, इसी जानलेवा तरीके के चलते कुछ सालों से हमारे बहुत से श्वान भाई बहनों की जान जा चुकी है, कुल मिलाकर नसबंदी की आड़ में जमकर कमाई की जाती है, आम जनता को इस बात का पता न चले इसलिए मेडम स्थानीय पत्रकारों और चैनल वालों को भी भरपूर खुश रखती है, और ये शायद सब जगह ऐसा ही हो रहा होगा।
आपको यह बताते हुए हम सब देशी श्वानों को शर्म आ रही है कि नसबंदी वाले जर्जर कमरे के बाहर श्वानों की नसबंदी करने की आदर्श गाइड लाइन का बोर्ड लगा है जिसमें लिखा है कि श्वानों की नसबंदी कैसे की जानी चाहिए और इसमें क्या क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए, साथ में लाल बड़े अक्षरों से लिखा है कि गाइड लाइन का सख्ती से पालन होना चाहिए। सर जी गाइड लाइन में तो ये भी लिखा है कि श्वानों की नसबंदी के लिए एक स्वच्छ विकसित आपरेशन थियेटर एवं कुशल चिकित्सक भी होना चाहिए। आपरेशन के बाद श्वनों के आराम करने के लिए एक बढ़िया सेपरेट कमरा होना चाहिए उनके खाने-पीने का बढ़िया इंतजाम होना चाहिए, जगह भी साफ-सुथरी होना चाहिए ताकि आपरेशन के दौरान या बाद में श्वानों को इंफेक्शन न हो, लेकिन यहां तो सब उल्टा-पुल्टा है, एक गन्दे कमरे में सिवाय गंदगी के अलावा कुछ नहीं है।
सर जी हम श्वानों को इस बात का भी दुख है कि बधियाकरण के नाम पर हमारे स्वस्थ भाई-बहनों को भी पकड़कर इस कमरे में बीमार बना दिया जाता है। बड़े बड़े बंगलों में राज कर रहे विदेशी श्वानों का कभी बधियाकरण नहीं किया जाता, क्योंकि बाजार में उनकी संतानों को मुंह मांगे दाम पर लिया जाता है। सर जी आपने हम देशी श्ववानों पर विश्वास कर हमारी जाति पर बड़ा उपकार किया है, आपने अपने अनुभव से पूंछ हिलाते आदमीनुमा श्वानों को भी देखा है इसका हम सबको गर्व है।
आदरणीय जी, कृपया एक छोटा सा निर्णय और ले लेते तो देश का बड़ा भला हो जाता,यह कि विदेशी श्वानों के पालन पोषण पर प्रतिबंध लग जाता और देशी श्वानों के बधियाकरण पर रोक लग जाती, ताकि हमारी जाति के लोग आसानी से हर जगह उपलब्ध हो जाते। आदरणीय जी आपने हमारे वेदनामय स्वरों को धैर्य और संयम से सुना और मन की बात में हम श्वानों को मान दिया, इसके लिए आपका दिल से शुक्रिया।
© जय प्रकाश पाण्डेय
वाह
मन की बात हो तो पाण्डेय जी जैसी हो।
बहुत खूब।
अपनी बात कहना हो तो ऐसे भी कही जा सकती है।
अतिसुन्दर व्यंग्य