डॉ निधि जैन
( डॉ निधि जैन जी भारती विद्यापीठ,अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पुणे में सहायक प्रोफेसर हैं। आपने शिक्षण को अपना व्यवसाय चुना किन्तु, एक साहित्यकार बनना एक स्वप्न था। आपकी प्रथम पुस्तक कुछ लम्हे आपकी इसी अभिरुचि की एक परिणीति है। आपका परिवार, व्यवसाय (अभियांत्रिक विज्ञान में शिक्षण) और साहित्य के मध्य संयोजन अनुकरणीय है। आज प्रस्तुत है आपकी एक अतिसुन्दर भावप्रवण कविता “आमंत्रण”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆निधि की कलम से # 20 ☆
☆ आमंत्रण ☆
आमंत्रण शब्द में छुपा मेरा निमंत्रण,
उन्मुक्त प्यार रूपी पंछी को मेरा हसीन निमंत्रण,
अभिव्यक्तियों को दिल से दिल तक पहुँचाने का निमंत्रण,
उम्र के हर पड़ाव में, अपनों के साथ का निमंत्रण,
ख्वाब को रूबरू होने का निमंत्रण,
आमंत्रण शब्द में छुपा मेरा निमंत्रण।
ज़िन्दगी की भीड़ में कहीं अपने आप को छुड़ाने का निमंत्रण,
ये शरीर बना हड्डी का पिंजर, उसे सहजने का निमंत्रण,
मुसाफिरखाना बने मेरे मन को नए एहसास का निमंत्रण,
अपने अंतर्मन को छूने का निमंत्रण,
खामोशी के साथ पैगाम-ए-दिल को निमंत्रण,
आमंत्रण शब्द में छुपा मेरा निमंत्रण।
आओ हम सब एक हो जाएँ और दे ख़ुशी को निमंत्रण,
ऊँच-नीच जाति -पाति का भेद मिटाकर, करे एकता का निमंत्रण,
तेरा मेरा छोड़ कर अपनों का निमंत्रण.
बिखरे जीवन, लूटते दिल को जोड़ने का निमंत्रण,
अनेकता में एकता में रहने का निमंत्रण,
आमंत्रण शब्द में छुपा मेरा निमंत्रण।
© डॉ निधि जैन,
पुणे
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈