श्री अरुण कुमार दुबे

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “मज़हब न जाँत पाँत का हो ज़िक्र भी जरा“)

☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 72 ☆

✍ मज़हब न जाँत पाँत का हो ज़िक्र भी जरा… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे 

जिसमें सबक हो प्यार का ऐसी किताब दे

इंसानियत का करने मुझे इंतखाब दे

 *

मज़हब न जाँत पाँत का हो ज़िक्र भी जरा

काज़ी न पादरी न पुजारी खिताब दे

 *

दुश्वार जिनको ज़ीस्त है टूटे है ज़ोम से

मुरझा गए जो चहरे है उन पर शबाब दे

 *

पर्वत शज़र की दावतें  वर्षा कबूल ले

तेरा है रब निज़ाम तो सहरा को आब दे

 *

अपने लिए ही रोटी नहीं माँगता ख़ुदा

देने ज़कात मुझको मुक़म्मल निसाब दे

 *

तक़लीफ़ टूटने की सताती है उम्र भर

ताबीर जिनकी हो सके बस ऐसे ख्वाब दे

 *

इंसान आज का नहीं वंदा रहा तेरा

दुनिया का नाश करने क़यामत शिताब दे

 *

सुननी है बात प्रेम से हमको बुज़ुर्गों की

उल्टी हो बात फिर भी न उनको जबाब दे

 *

गुलशन को मेरे ख़ार अता तू करें भले

मुफ़लिस को ज़िन्दगी में महकते गुलाब दे

 *

मग़रूर आदमी की निशानी है ये बड़ी

मुझको न ज़िन्दगी में जरा भी इताब दे

 *

वो बेवफा कहें नहीं इनकार है मुझे

अपनी अरुण वफ़ा का मुझे भी हिसाब दे

© श्री अरुण कुमार दुबे

सम्पर्क : 5, सिविल लाइन्स सागर मध्य प्रदेश

सिरThanks मोबाइल : 9425172009 Email : arunkdubeynidhi@gmail. com

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Pravin

Brilliant composition…
Pravin Raghuvanshi
Executive Director
Global Writers Academy