श्री अरुण कुमार दुबे

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “तुमने पत्थर को अक़ीदत से बनाया ईश्वर“)

☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 75 ☆

✍ तुमने पत्थर को अक़ीदत से बनाया ईश्वर… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे 

कब हुआ खून का रँग लाल से काला पगले

घर के बँटवारे से रिश्ता नहीं टूटा पगले

 *

पक गया फिर भी नहीं डाल हटाई उसको

भाग्य बूढ़ों से भला पाया है पत्ता पगले

 *

कौन कहता है घटा मेघ कराते बारिश

साथ बिरहन के गगन आज है रोया पगले

 *

शहर की उनको चकाचौध असर में लेती

गाँव का हुस्न नहीं जिसने है देखा पगले

 *

ये न रहमत है किसी की न किसी   से मिन्नत

कामयाबी जो मिली खुद को तपाया पगले

 *

तुमने पत्थर को अक़ीदत से बनाया ईश्वर

बिगड़ी तक़दीर को क्यों सिर है झुकाया पगले

 *

खोजने से नहीं सहारा में मिलेगा पानी

नाम अल्लाह के कब एड़ियाँ  रगड़ा पगले

 *

नर्म मख्खन से ज़ियादा है सदा ध्यान रहे

चोट लगने से चटक जाता कलेजा पगले

 *

वो जो रूठा हो गले उसको लगाले माने

ये मुहब्बत में अरुण का है तज़ुर्बा पगले

© श्री अरुण कुमार दुबे

सम्पर्क : 5, सिविल लाइन्स सागर मध्य प्रदेश

सिरThanks मोबाइल : 9425172009 Email : arunkdubeynidhi@gmail. com

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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