श्री अरुण कुमार दुबे

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “गैर मुमकिन है हार हो तेरी“)

☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 79 ☆

✍ गैर मुमकिन है हार हो तेरी… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे 

यूँ बसर हमने ज़िन्दगीं की है

हर नफ़स गम से दोस्ती की है

 *

मैं न काफ़िर हूँ फिर भी तुझसे मिल

इश्क़ में तेरी वन्दगी की है

 *

ग़म ख़ुशी जो भी दो कबूल मुझे

मैंने शिद्दत से आशिक़ी की है

 *

मिट गई जेहल की अमावस्या

इल्म की जबसे रोशनी की है

 *

जीत कैसे चुनाव में मिलती

तुमने सौगात में कमी की है

 *

गैर मुमकिन है हार हो तेरी

तूने दिल से अगर सई की है

 *

आप को क्यों बुरा लगा इतना

बात उसने बड़ी खरी की है

 *

यूँ न बेकार बैठते ए अरुण

तुमने तालीम कागज़ी की है

© श्री अरुण कुमार दुबे

सम्पर्क : 5, सिविल लाइन्स सागर मध्य प्रदेश

सिरThanks मोबाइल : 9425172009 Email : arunkdubeynidhi@gmail. com

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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