श्री अरुण कुमार दुबे

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “काम दौलत न आया था रुतवा“)

☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 87 ☆

✍ काम दौलत न आया था रुतवा… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे 

आपकी मुझको रहनुमाई थी

ज़िन्दगी में बहार आई थी

 *

मोड़ तुमने लिया था रुख अपना

आशिक़ी खूब क्या निभाई थी

 *

झूठ ने सच का दम था घौट दिया

आपने की न लबकुशाई थी

 *

जो भी थी खानदान की इज़्ज़त

नस्ले नौ ने सभी मिटाई थी

 *

थामते लोग पहले गिरते को

आज ठोकर मगर लगाई थी

 *

काम दौलत न आया था रुतवा

मौत जब मुझको लेने आई थी

 *

मैंने चाही थी जो मिली मन्ज़िल

राह वो माँ मुझे दिखाई थी

 *

गोपियाँ तोड़ के चली बन्धन

कृष्ण ने वंशी जब बजाई थी

 *

आप दिल में जगह नहीं देते

बात करने में क्या बुराई थी

 *

खाया बिल्डर न राज्य है सुनता

उम्र भर की रही कमाई थी

 *

है अरुण मुद्दतों से अफ़सुर्दा

प्यार ने नज़्र की जुदाई थी

© श्री अरुण कुमार दुबे

सम्पर्क : 5, सिविल लाइन्स सागर मध्य प्रदेश

सिरThanks मोबाइल : 9425172009 Email : arunkdubeynidhi@gmail. com

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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