श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “बुराई किसकी करूँ किसकी मैं करूँ तारीफ़…“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 92 ☆
बुराई किसकी करूँ, किसकी मैं करूँ तारीफ़… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
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करम जमाने पे ये बे हिसाब जिसका है
सवाल उसने किया है जबाब जिसका है
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अब ऐसे हुस्न पर इतरा रही है ये दुनिया
नतीजा दोस्तो मिस्ले तुराब जिसका का है
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उसे लुटेरों का कोई भी डर नहीं होगा
अदब का इल्म का आला निसाब जिसका है
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बुराई किसकी करूँ किसकी मैं करूँ तारीफ़
उसी के ख़ार शुगुफ्ता गुलाब जिसका है
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दखल किसी का नहीं उसकी कारसाजी में
अँधेरे करता है वो आफ़ताब जिसका है
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उसी की मिहर से तू साँस ले रहा है यहाँ
करम उसी का है तुझ पर इताब जिसका है
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उसे न नाम कोई और दो जहां वालो
रसूले हक़ का जहां में ख़िताब जिसका है
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अरुण उसी ने ख़िज़ाँ की भी रुत बनाई है
फिजां में फूल पे आया शबाब जिसका है
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© श्री अरुण कुमार दुबे
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