स्वतन्त्रता दिवस विशेष

सुश्री मालती मिश्रा ‘मयंती’

 

(प्रस्तुत है सुश्री मालती मिश्रा ‘मयन्ती’ जी  द्वारा रचित स्वतन्त्रता दिवस पर विशेष कविता लहरा के तिरंगा भारत का। )

 

 लहरा के तिरंगा भारत का 

 

लहरा के तिरंगा भारत का

हम आज यही जयगान करें,

यह मातृभूमि गौरव अपना

फिर क्यों न इसका मान करें।

 

सिर मुकुट हिमालय है इसके

सागर है चरण पखार रहा

गंगा की पावन धारा में

हर मानव मोक्ष निहार रहा,

फिर ले हाथों में राष्ट्रध्वजा

हम क्यों न राष्ट्रनिर्माण करें।।

यह मातृभूमि गौरव अपना

फिर क्यों न इसका मान करें

 

इसकी उज्ज्वल धवला छवि

जन-जन के हृदय समायी है

स्वर्ण मुकुट सम शोभित हिमगिरि

की छवि सबको भाई है।

श्वेत धवल गंगा सम नदियाँ

हर पल इसका गान करें

यह मातृभूमि गौरव अपना

फिर क्यों न इसका मान करें

 

नव नवीन पहनावे इसके

भिन्न भिन्न भाषा भाषी

शंखनाद से ध्वनित हो रहे

हर पल मथुरा और काशी

पावन, सुखदायी छवि इसकी

क्यों न हम अभिमान करें

यह मातृभूमि गौरव अपना

फिर क्यों न इसका मान करें।

 

लहरा के तिरंगा भारत का

हम आज यही जयगान करें,

यह मातृभूमि गौरव अपना

फिर क्यों न इसका मान करें।।

 

©मालती मिश्रा मयंती✍️

दिल्ली
मो. नं०- 9891616087
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