पुस्तक विमर्श – स्त्रियां घर लौटती हैं
श्री विवेक चतुर्वेदी
( हाल ही में संस्कारधानी जबलपुर के युवा कवि श्री विवेक चतुर्वेदी जी का कालजयी काव्य संग्रह “स्त्रियां घर लौटती हैं ” का लोकार्पण विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली में संपन्न हुआ। यह काव्य संग्रह लोकार्पित होते ही चर्चित हो गया और वरिष्ठ साहित्यकारों के आशीर्वचन से लेकर पाठकों के स्नेह का सिलसिला प्रारम्भ हो गया। काव्य जगत श्री विवेक जी में अनंत संभावनाओं को पल्लवित होते देख रहा है। ई-अभिव्यक्ति की ओर से यह श्री विवेक जी को प्राप्त स्नेह /प्रतिसाद को श्रृंखलाबद्ध कर अपने पाठकों से साझा करने का प्रयास है। इस श्रृंखला की चौथी कड़ी के रूप में प्रस्तुत हैं श्री गणेश गनीके विचार “इस सदी में काम पर जाने वाली स्त्री की प्रतिनिधि कविता है ” ।)
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☆ पुस्तक विमर्श #6 – स्त्रियां घर लौटती हैं – “इस सदी में काम पर जाने वाली स्त्री की प्रतिनिधि कविता है ” – श्रीमती अर्चना पांडेय ☆
स्त्रियां घर लौटती हैं
कुछ कविताएं न केवल मर्म को छू जाती हैं बल्कि उन्हें पढ़कर हमारे भीतर की वो संवेदना जग जाती है जो कि दुनिया की चीख-पुकार में कहीं खो गई थी विवेक के वाणी प्रकाशन से प्रकाशित कविता संग्रह ‘स्त्रियां घर लौटती हैं ‘ में शामिल कविताएं ऐसी ही कविताएं हैं प्रेम पर ऐसी सघन, ऐसी बारीक बुनावट वाली कविता ‘मीठी नीम’ देखिए
मीठी नीम
एक गन्ध ऐसी होती है
जो अंतस को छू लेती है
चन्दन सी नहीं
गुलाब सी नहीं
मीठी नीम सी होती है
तुम ऐसी ही एक गन्ध हो।।
एक कविता है ‘पिता की याद’, इसे पढ़कर मैं हैरत में पड़ गई क्या पिता के प्रेम की व्यंजना को ऐसे भी अनुभव किया जा सकता है? जबकि प्राय: साहित्य में पुरुष सत्ता की आलोचना ही बिखरी पड़ी है
‘भोर होने को है’ में यह देखना विस्मयकारी है कि एक पुरुष कवि कैसे ऐसी स्त्रीमूलक कविता रच पाता है इन कविताओं को पढ़कर बार बार ये अनुभव होता है कि कवि अपनी रचना के भीतर अपना व्यक्तित्व छोड़ कर पैठ गया है
और ‘स्त्रियां घर लौटती हैं’ तो शायद इस सदी में काम पर जाने वाली स्त्री की प्रतिनिधि कविता है इतनी समग्र कविता कम देखने मिलती है इस कविता का आखिरी अंश देखिए
…स्त्रियों का घर लौटना
महज स्त्री का घर लौटना नहीं है
धरती का अपनी धुरी पर लौटना है।।
लगता है कि विवेक अपनी कविताओं का सूक्ष्म ट्रीटमेंट करने में सक्षम कवि हैं कुछ भी छूटता नहीं है कविता एक पूरा जगत समेटकर चलती है
इस संग्रह का किसी पाठक के पास होना सच में एक उपलब्धि है।।
– अर्चना पांडेय
© विवेक चतुर्वेदी, जबलपुर ( म प्र )
ई-अभिव्यक्ति की ओर से युवा कवि श्री विवेक चतुर्वेदी जी को इस प्रतिसाद के लिए हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई।