(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। अब आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी की पुस्तक चर्चा “काव्य – बुंदेली गीता ”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 4☆
☆ काव्य – बुंदेली गीता ☆
पुस्तक चर्चा
काव्य – बुंदेली गीता
लेखक – विनोद कुमार खरे
मूल्य – 251 रु
☆ काव्य – बुंदेली गीता– चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆
☆ बुंदेली गीता ☆
भगवत गीता के संस्कृत श्लोक, हिंदी भाषा अनुवाद सहित बुंदेली काव्य
भगवत गीता विश्व ग्रंथ है ।अनेक भाषाओं में अनेक लोगों ने इसका अनुवाद किया है। प्रोफेसर चित्र भूषण श्रीवास्तव ने हिंदी काव्य अनुवाद, अंग्रेजी अर्थ सहित किया है जो संस्कृत न समझने वाले युवाओं में बहुत लोकप्रिय हो रहा है । इसी क्रम में क्षेत्रीय भाषाओं को भी समय के साथ महत्व मिलता दिखता है।
बुंदेली भाषा में विनोद कुमार खरे जी का यह अनुवाद प्राप्त हुआ । सरल सुंदर प्रस्तुति के साथ हर श्लोक का बुंदेली अनुवाद और हिंदी भावार्थ प्रस्तुत करने हेतु खरे साहब को बहुत-बहुत बधाई। निश्चित ही बुंदेली में गीता का इस तरह प्रस्तुतीकरण बुंदेलखंड के दूरदराज भीतरी क्षेत्रों में भगवत गीता के शाश्वत संदेश को पहुंचाने में महत्वपूर्ण कार्य है । बुंदेलखंड की लोक भाषा में भगवत गीता का यह प्रस्तुतीकरण प्रशंसनीय है एवं यह बुंदेली साहित्य को और समृद्धि करेगा । सोलहवें अध्याय के पहले ही श्लोक में 26 वे गन धर्म बिंदुवार बताये गए हैं जो जीवन सूत्र हैं । जैसे भगवान में समर्पित आस्था, दान, दया, सत्य, अक्रोध, क्षमा, त्याग आदि शाश्वत भाव ही भगवान की कृपा पाने के मूल तत्व हैं ।
चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर .
ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८
मो ७०००३७५७९८