विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”  शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।  अब आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी  की पुस्तक चर्चा  “हास्य व्यंग्य – बातें बेमतलब । 

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 6 ☆ 

 

☆ पुस्तक – हास्य व्यंग्य – बातें बेमतलब

 

पुस्तक चर्चा

पुस्तक –बातें बेमतलब

लेखक –  अनुज खरे

प्रकाशक – मंजुल पब्लिशिंग हाउस भोपाल

मूल्य –  175 रु

 

☆ पुस्तक  – हास्य व्यंग्य – बातें बेमतलब  – चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

 

☆ हास्य व्यंग्य – बातें बेमतलब ☆

 

आपाधापी भरा वर्तमान समय दुष्कर हो चला है. ऐसे समय में साहित्य का  वह हिस्सा जन सामान्य को बेहतर तरीके से प्रभावित कर पा रहा है जिसमें आम आदमी की दुश्वारियो की पैरवी हो, किंचित हास्य हो, विसंगतियो पर मृदु प्रहार हो. पर सब कुछ बोलचाल की भाषा में एफ एम रेडियो के जाकी टाइप की सरलता से समझ आने वाली बातें हों.  इस दृष्टि से हास्य और व्यंग्य की लोकप्रियता बढ़ी है.

अनुज खरे ने सामान्य परिवेश से अपेक्षाकृत युवाओ को स्पर्श करते विषय उठाये हैं. वे लव देहात, मायके गई पत्नी को लिखा गया भैरंट लैटर, इश्कवाला लव, ट्रक वाला टेलेंट, रिसाइकिल बिन में रिश्ते, वर्चुएल वर्ल्ड के वैरागी, मोबाईल की राह में शहीद, पहली हवाई यात्रा, यारां दा ठर्रापना, जैसे लेखो में सहजता से, विषय, भाषा, शब्दो के प्रवाह में पाठक को अपनी खास इस्टाईल में कुछ गुदगुदाते हैं, कुछ शिक्षा देते सीमित पृष्ठो में अपनी बातें कह देने की विशिष्टता रखते हैं. संभवतः बुंदेलखण्ड में विकसित उनका बचपन उन्हें यह असाधारण क्षमता दे गया है.

कस्बाई कवि सम्मेलन शायद पुस्तक का सबसे लंबा व्यंग्य लेख है. बड़े मजे लेकर उन्होने दुर्गा पूजा  आदि मौको पर देर रात तक चलने वाले इन सांस्कृतिक आयोजनो के बढ़ियां चित्र खिंचे हैं, अब कवि सम्मेलन भले ही टी वी शो में सिमटने लगे हों पर हमारी पीढ़ी ने मुशायरो और कवि सम्मेलन का ऐसा ही आनंद लिया है जैसा अनुज जी ने वर्णित किया है. कुल मिलाकर सभी ३६ लेख, मजेदार, बातें बेमतलब  में मतलब की बातें हर पाठक के लिये हैं. किताब पैसा वसूल है, पठनीय है.

 

चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर .

ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

मो ७०००३७५७९८

 

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments