(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा” शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। अब आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी की पुस्तक चर्चा “उपन्यास – एकता और शक्ति (सरदार पटेल के जीवन पर आधारित उपन्यास)”।
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 8 ☆
☆ पुस्तक – उपन्यास – एकता और शक्ति (सरदार पटेल के जीवन पर आधारित उपन्यास) ☆
पुस्तक चर्चा
पुस्तक – उपन्यास – एकता और शक्ति (सरदार पटेल के जीवन पर आधारित उपन्यास)
लेखक – अमरेन्द्र नारायण
प्रकाशक – राधाकृष्ण प्रकाशन ,राजकरल प्रकाशन समूह , 7/31 अंसारी रोड दरयागंज, नई दिल्ली
www.radhakrishnaprakashan.com, E-mail: [email protected]
☆ पुस्तक – उपन्यास – एकता और शक्ति – चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆
☆ उपन्यास – एकता और शक्ति (सरदार पटेल के जीवन पर आधारित उपन्यास)☆
एकता और शक्ति उपन्यास स्वतंत्र भारत के शिल्पकार लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के अप्रतिम योगदान पर आधारित कृति है. इस उपन्यास की रचना गुजरात के रास ग्राम के एक सामान्य कृषक परिवार को केन्द्र में रख कर की गयी है. श्री वल्लभभाई पटेल के महान व्यक्तित्व से प्रभावित होकर हजारो लोग खेड़ा सत्याग्रह के दिनों से ही उनके अनुगामी हो गए थे और उनकी संघर्ष यात्रा के सहयोगी बने थे. पुस्तक में सरदार पटेल के व्यक्तित्व के महत्वपूर्ण पक्षों को और उनके अद्वितीय योगदान का प्रामाणिक रूप से वर्णन किया गया है.
महान स्वतंत्रता सेनानी… कर्मठ देशभक्त… दूरदर्शी नेता… कुशल प्रशासक…! सरदार वललभभाई पटेल के सन्दर्भ में ये शब्द विशेषण नहीं हैं. ये दरअसल उनके व्यक्तित्व की वास्तविक छबि है. स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद अनेक समस्याओं से जूझते हुए भारतवर्ष को संगठित करने, उसे सुदृढ़ बनाने और नवनिर्माण के पथ पर अग्रसर कराने में उनकी भूमिका अविस्मरणीय रही है. ‘एकता और शक्ति’ स्वतंत्र भारत के इस महान शिल्पी को लेखक की विनम्र श्रद्धांजली है. यह उपनयास एक सामान्य कृषक परिवार के किरदार से सरदार की कार्य -कुशलता, उनके प्रभावशाली नेतृत्व और अनुपम योगदान का का ताना-बाना बुनता है ।उपन्यास सरदार श्री के जीवन से सबंधित कई अल्पज्ञात या लगभग अनजान पहलुओं को भी नये सिरे और नये नजरिये से छूता है.
यह उपन्यास सरदार वल्लभभाई पटेल के अप्रतिम जीवन से नयी पीढ़ी में राष्ट्रनिर्माण की अलख जगाने का कार्य कर सकता है . आज की पीढ़ी को सरदार के जीवन के संघर्ष से परिचित करवाना आवश्यक है, जिसमें यह उपन्यास अपनी महती भूमिका निभाता नजर आता है.
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एवं स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का भारत में त्वरित विलय कराने, स्वाधीन देश में उपयुक्त प्रशासनिक व्यवस्था बनाने और कई कठिनाइयों से जूझते हुए देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर कराने में, लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का योगदान अप्रतिम रहा है. वे लाखों लोगों के लिए अक्षय प्रेरणा-स्रोत हैं. एकता और शक्ति, सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान पर आधारित एक ऐसा उपन्यास है जिसमें एक सामान्य कृषक परिवार की कथा के माध्यम से, सरदार श्री के प्रभावशाली कृशल नेतृत्व का एवं तत्कालीन घटनाओं का वर्णन किया गया है. साथ ही, एक सम्पन्न एवं सशक्त भारत के निर्माण हेतु उनके प्रेरक दिशा-निर्देशों पर भी प्रकाश डाला गया है.
अमेरन्द्र नारायण एशिया एवं प्रशान्त क्षेत्र के अन्तरराष्ट्रीय दूर संचाार संगठन एशिया पैसिफिक टेली कॉम्युनिटी के भूतपूर्व महासचिव एवं भारतीय दूर संचार सेवा के सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं. उनकी सेवाओं की प्रशंसा करते हुए उन्हें भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने स्वर्ण पदक से और संयुक्त राष्ट्र संघ की विशेष एजेंसी अन्तर्राष्ट्रीय दूरसंचार संगठन ने टेली कॉम्युनिटी को स्वर्ण पदक से और उन्हें व्यक्तिगत रजत पदक से सम्मानित किया.
श्री नारायण के अंग्रेजी उपन्यास—फ्रैगरेंस बियॉन्ड बॉर्डर्स का उर्दू अनुवाद खुशबू सरहदों के पास नाम से प्रकाशित हो चुका है. भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति महामहिम अब्दुल कलाम साहब, भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने इस पुस्तक की सराहना की है. महात्मा गांधी के चम्पारण सत्याग्रह और फिजी के प्रवासी भारतीयों की स्थिति पर आधारित उनका संघर्ष नामक उपन्यास काफी लोकप्रिय हुआ है. उनकी पाँच काव्य पुस्तकें—सिर्फ एक लालटेन जलती है, अनुभूति, थोड़ी बारिश दो, तुम्हारा भी, मेरा भी और श्री हनुमत श्रद्धा सुमन पाठकों द्वारा प्रशंसित हो चुकी हैं. श्री नारायण को अनेक साहित्यिक संस्थाओं ने सम्मानित किया है.
श्री अमरेन्द्र नारायण जी के इस प्रयास की व्यापक सराहना की जानी चाहिये . यह विचार ही रोमांचित करता है कि यदि देश का नेतृत्व लौह पुरुष सरदार पटेल के हाथो में सौंपा जाता तो आज कदाचित हमारा इतिहास भिन्न होता . पुस्तक पठनीय व संग्रहणीय है .
चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर .
ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८
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