विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”  शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।  अब आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी  की पुस्तक चर्चा  “बाल साहित्य – भोलू भालू सुधर गया। 

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 9 ☆ 

☆ पुस्तक – भोलू भालू सुधर गया

पुस्तक चर्चा

☆ बाल साहित्य   – भोलू भालू सुधर गया– चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

 

पुस्तक – भोलू भालू सुधर गया

लेखक – पवन चौहान

प्रकाशक – बोधि प्रकाशन, जयपुर

मूल्य – १०० रु

 

बाल साहित्य रचने के लिये बाल मनोविज्ञान का जानकार होना अनिवार्य होता है. दुरूह से दुरूह बात भी खेल खेल में, चित्रात्मकता के साथ सरल शब्दो में बताई जावे तो बच्चे उसे सहज ही ग्रहण कर लेते हैं. बचपन में पढ़ा गया साहित्य जीवन भर स्मरण रहता है, और बच्चे को संस्कारित भी करता है.

बाल गीत, बाल कथाओ का इस दृष्टिकोण से बड़ा महत्व है. बच्चो की कहानियो के पात्र काल्पनिक होते हैं किन्तु वे बच्चो के नायक होते हैं.

नानी दादी की कहानियां अब गुम हो रही हैं, क्योकि परिवार विखण्डित होते जा रहे हैं, बाल मनोरंजन के अन्य इलेक्ट्रानिक संसाधन बढ़ रहे हैं. ऐसे समय में सुप्रतिष्ठित प्रकाशन गृह बोधि, जयपुर से पवन चौहान का बाल कथा संग्रह भोलू भालू सुधर गया प्रकाशित हुआ है. संग्रह में कुल जमा १५ बाल कथायें हैं. चूंकि पवन चौहान पेशे से शिक्षक हैं वे बच्चो के मन को खूब समझते हैं. छोटे छोटे वाक्य विन्यास के साथ उनकी कही कहानियां सुनने पढ़ने वाले पर चित्रात्मक प्रभाव छोड़ती हैं. सब जानते हैं कि शेर भालू इंसानी बोली नहीं बोल सकते, और न ही जंगल में इंसानी समस्यायें होती हैं जिनका हल चुनाव से निकालने की आवश्यकता हो, किन्तु पवन जी नें जंगली जानवरो को सफलता पूर्वक कथा पात्र बना कर उनके माध्यम से बाल मन पर बच्चे के परिवेश की इंसानी समस्याओ के हल निकालते हुये, बच्चो को सुसंस्कारित करने हेतु प्रस्तुत कहानियो के माध्यम से शिक्षित करने का महत्वपूर्ण काम किया है. बच्चो को ही नही, उनके अभिवावको व शिक्षको को भी किताब पसंद आयेगी.

 

चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

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