हेमन्त बावनकर
(माँ सरस्वती तथा आदरणीय गुरुजनों के आशीर्वाद से “साप्ताहिक स्तम्भ – अभिव्यक्ति” प्रारम्भ करने का साहस/प्रयास कर रहा हूँ। कुछ समय से आपकी अपनी ब्लॉग साइट/ई-पत्रिका “ई-अभिव्यक्ति” के सम्पादन में से समय निकाल कर कुछ नया लिखने और अपने पुराने साहित्य के अवलोकन के लिए समय नहीं निकाल पा रहा था। अब स्वांतःसुखाय लेखन को नियमित स्वरूप देने के प्रयास में इस स्तम्भ के माध्यम से आपसे संवाद भी कर सकूँगा एवं अपनी स्वांतःसुखाय रचनाएँ भी साझा करने का प्रयास कर सकूँगा। इस आशा के साथ ……
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – अभिव्यक्ति #1 ☆
☆ राजनीति शास्त्र बनाम राजनैतिक शस्त्र ☆
प्रश्न था
राजनीति शास्त्र की परिभाषा?
लोकतंत्र में जन्में,
राजनैतिक छात्रावास में पले
विचारशील,
क्रान्तिकारी छात्र का
उत्तर था
’राज’ नेताओं के लिये
’नीति’ जनता के लिये
और
’शास्त्र’ छात्रों के लिये।
अब यदि
आप पूछेंगे उससे
छात्र की परिभाषा
तब निःसन्देह
उसका उत्तर होगा
’राजनैतिक शस्त्र’।
(काव्य- संग्रह ‘शब्द और कविता’ से)
17 जनवरी 1982
© हेमन्त बावनकर, पुणे