श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’
( श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’ जी एक आदर्श शिक्षिका के साथ ही साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, नवगीत, कहानी, कविता, बालगीत, बाल कहानियाँ, हायकू, हास्य-व्यंग्य, बुन्देली गीत कविता, लोक गीत आदि की सशक्त हस्ताक्षर हैं। विभिन्न पुरस्कारों / सम्मानों से पुरस्कृत एवं अलंकृत हैं तथा आपकी रचनाएँ आकाशवाणी जबलपुर से प्रसारित होती रहती हैं। आज प्रस्तुत है हाईकु शैली में रचित एक भावपूर्ण कविता “ प्रकृति ”। इस अतिसुन्दर रचना के लिए श्रीमती कृष्णा जी बधाई की पात्र हैं।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य # 18☆
☆ हाईकु – प्रकृति ☆
मचा बवंडर
त्राहि त्राहि मची
जल समाहित
बाढ़ उफनती
बढ़ती न रुकती
रौद्र दिखती.
जड़ें हिलाती
कमाल ही करती
अस्तित्व समझाती
मत खेलो
मुझको तो समझो
माँ तुम सबकी.
कहीं खाली
कहीं भर दिया
लिया दिया.
© श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि ‘
अग्रवाल कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर -482002 मध्यप्रदेश