श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’
( श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’ जी एक आदर्श शिक्षिका के साथ ही साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, नवगीत, कहानी, कविता, बालगीत, बाल कहानियाँ, हायकू, हास्य-व्यंग्य, बुन्देली गीत कविता, लोक गीत आदि की सशक्त हस्ताक्षर हैं। विभिन्न पुरस्कारों / सम्मानों से पुरस्कृत एवं अलंकृत हैं तथा आपकी रचनाएँ आकाशवाणी जबलपुर से प्रसारित होती रहती हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक अतिसुन्दर और शिक्षाप्रद लघुकथा समझदारी ….। पति पत्नी का सम्बन्ध एक नाजुक डोर सा होता है और विश्वास उसकी सबसे बड़ी कड़ी होती है। इस तथ्य को श्रीमती कृष्णा जी ने पति पत्नी के इस सम्बन्ध में निहित समझदारी को बेहद खूबसूरती से दर्शाया है। इस अतिसुन्दर रचना के लिए श्रीमती कृष्णा जी बधाई की पात्र हैं।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य # 20 ☆
☆ लघुकथा – समझदारी …. ☆
पति अजय ने आभा को अपने पास बैठाकर समझाया। बीती बातें एक बुरा सपना समझकर भूल जाओ मैं तुम्हारे साथ हूँ पर आभा नजरें नहीं मिला पा रही थी। अजय ने उसे गले लगाया बस फिर तो आभा के सब्र का बांध ही टूट गया हिचकी के साथ आँसू बहे और आँसुओं के साथ मित्र द्वारा की गयी गद्दारी तार तार हो गई।
शाह ने पहले अजय से दोस्ती की और फिर बाद में आभा की गतिविधियों पर नजर रख उसका फायदा उठाया। अजय जानते थे। शाह बदमाश और गंदा व्यक्ति है पर उसकी वाकपटुता से वे भी मोहित हो गये। किन्तु, उसका घर में घुसकर घरघुलुआ खेलना बहुत बुरा लगा। वे उस पर नजर रखते फिर भी शाह आभा से मिलना न छोड़ता। अजय ने घर बर्बाद न हो, यह कोशिश शुरू कर दी। अभी नयी नयी गृहस्थी थी एक दूसरे को समझ ही रहे थे, कि बीच में शाह का आ जाना घर का टूटने जैसे होगा।
अजय ने आभा को बहुत प्यार और सम्मान, धीरज के साथ समझाया और शाह की कोई भी बुराई न कर आभा के मन को जीत लिया। नारी स्वभाव एक चढ़ती बेल ही तो होता है। जो प्यार से संवारे, उसी की हो ली।
अजय कुछ सामान लेने बाहर निकले ही थे कि झट से दूर खड़े शाह ने आभा के घर में प्रवेश किया। अजय शाह को आते देख चुके थे। वे आकर चुपचाप बाहर कमरे में बैठ गये। शाह आभा से प्यार भरी बातें करने लगा। सब्जबाग दिखाने की कोशिश करने का प्रयास किया। तभी आभा ने ऊंची आवाज में शाह को डाँटा कि आज के बाद इस घर में कदम मत रखना। यह मेरा और मेरे पति का घर है, इसमें किसी तीसरे का कोई स्थान नहीं। और शाह अपनी चालबाजियों के आगे खुद ही हार गया। जब वह बाहर निकल रहा था, तभी अजय ने बड़े प्यार से उसकी ओर मुस्कुरा कर देखा। शाह सिर नीचे किए चुपचाप तेज कदमों से बाहर निकल गया।
© श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि ‘
अग्रवाल कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर -482002 मध्यप्रदेश