श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’
( श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’ जी एक आदर्श शिक्षिका के साथ ही साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, नवगीत, कहानी, कविता, बालगीत, बाल कहानियाँ, हायकू, हास्य-व्यंग्य, बुन्देली गीत कविता, लोक गीत आदि की सशक्त हस्ताक्षर हैं। विभिन्न पुरस्कारों / सम्मानों से पुरस्कृत एवं अलंकृत हैं तथा आपकी रचनाएँ आकाशवाणी जबलपुर से प्रसारित होती रहती हैं। आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण कविता ऐसी अनुभूति कुछ सजल में है । )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य # 33 ☆
☆ ऐसी अनुभूति कुछ सजल में है ☆
जाने क्या हो जाय पल में है
जिन्दगी का पता कल में है
चलने की ताकत तो पैरों में है,
फिसलन तो होती दल दल में है
चलते ही जाना तो जीवन है
पावनता सरिता के जल में है
क्या होगा कल, ये पहेली है
मजा इस पहेली के हल में है
हो गुलाब काँटो की सेज पर
ऐसी अनुभूति कुछ सजल में है.
© श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि ‘
अग्रवाल कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर -482002 मध्यप्रदेश
सुंदर रचना