श्री संतोष नेमा “संतोष”

 

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी  कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. 1982 से आप डाक विभाग में कार्यरत हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप  कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं.    “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में प्रस्तुत है  श्री संतोष नेमा जी  के   “संतोष के शब्द आधारित दोहे”। आप श्री संतोष नेमा जी  की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार  आत्मसात कर  सकते हैं . ) 

☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 33 ☆

☆ संतोष के शब्द आधारित दोहे ☆

 

रामायण

रामायण से मिल रहा,सामाजिक संदेश

अनुशासन की सीख दे,सिखलाती परिवेश

 

रामनवमी

राम जन्म के शुभ दिवस,भरते मन उत्साह

रामनवमी के पर्व पर,हो आंनद अथाह

 

विज्ञान

नव निर्माण करता सदा,यह नवीन विज्ञान

कोरोना का करेगा,करके खोज  निदान

 

अरविंद

मन मनसिज हरते वही,सबके प्रभु गोविंद

खिलते जिनकी दया से,कीचड़ में अरविंद

 

अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति ही दर्शाती, मानव का व्यक्तित्व

वाणी में हो मधुरता,सुंदर रहे कृतित्व

 

© संतोष  कुमार नेमा “संतोष”

सर्वाधिकार सुरक्षित

आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.)

मो 9300101799

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