श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. 1982 से आप डाक विभाग में कार्यरत हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में प्रस्तुत है वसंत पंचमी पर विशेष कविता / गीत “सरस्वती वंदना”. आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार पढ़ सकते हैं . )
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 23 ☆
☆ वसंत पंचमी विशेष – सरस्वती वंदना ☆
चारु हासिनी वाग्वादिनी।
जयति जयति जय हंस वाहिनी।।
शीश मुकुट मोहक मणि सोहे।
गल मोतिन की माला मोहे।।
ज्ञान-बुद्धि दे ज्ञान दायिनी।
जयति जयति जय हंस वाहिनी।
धूप-दीप, फल मेवा अर्पित।
भक्ति-भाव से विनय समर्पित।।
महका दे उर पुष्प वाहिनी।।
जयति जयति जय हंस वाहिनी।।
शब्द-शब्द,कविता-आराधन।
नव गीतों का करे सृजन मन।।
रस भावों की सुभग स्वामिनी।
जयति जयति जय हंस वाहिनी।।
ब्रम्हा-विष्णु,महेश उपासक।
शब्द-शिल्प,स्वर-लय आराधक।।
शशिवदना हे कमल वासिनी।
जयति जयति जय हंस वाहिनी।।
आन विराजो कलम दृष्टि में।
शब्द-नाद संगीत-सृष्टि में।।
माँ विमला”संतोष” दायिनी
जयति जयति जय हंस वाहिनी।।
चारु हासिनी वाग्वादिनी।
जयति जयति जय हंस वाहिनी।
© संतोष नेमा “संतोष”
आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.)
मोबा 9300101799