सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

? श्री संजय भारद्वाज जी का कवितासंग्रह ‘क्रौंच’ लोकार्पित ?

कहन के साथ/ मेरा मौन भी बाँचा जाय

प्रसिद्ध साहित्यकार एवं हिन्दी आंदोलन परिवार के संस्थापक-अध्यक्ष संजय भारद्वाज जी के कवितासंग्रह क्रौंच का लोकार्पण 31 अक्टूबर को ऑनलाइन हुआ। यह उनका पाँचवाँ कवितासंग्रह है। क्षितिज प्रकाशन ने इसे प्रकाशित किया है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के पूर्व कार्याध्यक्ष प्रो. नंदलाल पाठक जी ने की। उन्होंने कहा कि “संजय भारद्वाज कवितावादी हैं। उन्होंने अपनी कविता में छंद, लय, ताल, संगीत का कोई सहारा नहीं लिया है। यह दर्शाता है कि सच्ची कविता को बैसाखी की आवश्यकता नहीं होती।”

मुख्य अतिथि और ‘नवनीत’ के सम्पादक श्री विश्वनाथ सचदेव जी ने अपने भाषण से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि “संजय भारद्वाज का अनुभव जगत व्यापक है। उनकी कविताएँ अपने शब्दों के बीच की खाली जगह को पढ़ने के लिए पाठक को आमंत्रित करती हैं। यह इन कविताओं की सबसे बड़ी शक्ति है। ये कविताएँ पाठक के दिल को प्रभावित करती हैं।”

विश्व हिन्दी सचिवालय के समन्वयक श्री अनूप भार्गव जी ने कहा कि “आज के समय में साहित्यिक पुस्तक का लोकार्पण बड़ी हिम्मत का काम है। लोकार्पित संग्रह में प्रकाशित संजय जी का साहित्य ही उनके व्यक्तित्व का परिचायक है। साहित्यकार होने के साथ हिन्दी के लिए एक जुनून भी उनमें है।”

श्री संजय भारद्वाज जी ने कविता की अपनी यात्रा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वे नाटकों से कविता के प्रदेश में आए। उन्होंने कहा कि कविता स्वत: संभूता है। ज्वालामुखी-सी बाहर आनेवाली कविता साहित्य का शुद्धतम रूप है। कवि ने अपनी प्रतिनिधि रचना़ओं का पाठ भी किया। उनकी कविता ‘जब कभी / मेरा कहा आँका जाय / कहन के साथ / मेरा मौन भी बाँचा जाय’ का उल्लेख प्रत्येक वक्ता ने किया।

‘क्रौंच’ का मुखपृष्ठ प्रस्तर कला की मर्मज्ञ सुश्री अनिता दुबे ने बनाया है। उन्होंने इसकी पृष्ठभूमि बनी क्रौंच शृंखला की एक कविता का उल्लेख किया।

कार्यक्रम का सटीक संचालन कवयित्री चित्रा देसाई ने किया।

स्वागत वक्तव्य क्षितिज समूह की प्रमुख श्रीमती सुधा भारद्वाज ने किया। आभार प्रदर्शन सुश्री कृतिका भारद्वाज ने किया।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।

साभार श्रीमती ऋता सिंह

?  ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से श्री संजय भारद्वाज जी को उनकी इस विशेष उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई   ?

 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

image_print
4 2 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

3 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
सुशील कुमार तिवारी

ऋता दी अति सुंदर।

लतिका

सार्थक!?

माया कटारा

सशक्त अभिव्यक्ति ऋता जी ! अभिवादन ……