श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकशआज प्रस्तुत है आपकी ग़ज़ल “सारी रात गुज़ार देते बातों में ही…”)

? ग़ज़ल # 53 – “सारी रात गुज़ार देते बातों में ही…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ?

जो दोस्त करते नहीं सगा करते,

सगे दोस्त कभी नहीं दगा करते।

मिल गए तो सँभाल कर रखिए,

दोस्त पेड़ों पर नहीं लगा करते।

आँसुओं से सींचना पड़ता इन्हें,

दोस्त खेत में नहीं ऊगा करते।

हमेशा साथ रहते वक़्ते मुसीबत,

छोड़ कर तुम्हें नहीं भगा करते।

सारी रात गुज़ार देते बातों में ही,

कोई इस तरह नहीं जगा करते।

दोस्ती को धर्म की तरह निभाओ,

आस्था में रस यूँ नहीं पगा करते।

दोस्त भी इश्क़ की नाईं है आतिश,

मन हर किसी से नहीं लगा करते।

© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’

भोपाल, मध्य प्रदेश

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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