श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 33 – मनोज के दोहे

(चैत, उपवास, प्रतीक्षा, मनमीत)

चैत शुक्ल नवमी दिवस, जन्मे थे श्री राम।

नगर अयोध्या था सजा, बना देव का धाम।।

 

चैत्र माह प्रतिपदा को, नौ दिन का उपवास

मातृ-शक्ति का दिवस यह,भक्ति भाव है खास।।

 

सुखद प्रतीक्षा है अभी, बने हमारे काज।

नित विकास के पथ गढ़ें, रहे राम का राज।।

 

मन के जो नजदीक हैं, बन जाते मनमीत

दिल में जब वे आ बसें, मनभावन हैं गीत।।

 

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)-  482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हेमन्त तारे

अति सुन्दर।