श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”  महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण रचना “अदले-बदले की दुनियाँ…”)

☆  तन्मय साहित्य # 132 ☆

☆ अदले-बदले की दुनियाँ… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

साँझ ढली सँग सूरज भी ढल जाए

फिर ऊषा के साथ लौट वह आये।

 

अदले-बदले के दुनियाँ के रिश्ते हैं

जो न समझ पाते कष्टों में पिसते हैं

कठपुतली से रहें नाचते परवश में

स्वाभाविक ही मन को यही लुभाए….

 

थे जो मित्र आज वे ही प्रतिद्वंद्वी हैं

आत्मनियंत्रण कहाँ सभी स्वच्छंदी हैं

अतिशय प्रेम जहाँ ईर्ष्या भी वहीं बसे

प्रिय अपने ही दिवास्वप्न दिखलाये…..

 

चाह सभी को बस आगे बढ़ने की है

कैसे भी हों सफल, शिखर चढ़ने की है

खेल चल रहे हैं शह-मात अजूबे से

वक्त आज का सबको यही सिखाये…..

 

आदर्शों के हैं अब भी कुछ अभ्यासी

कीमत उनकी कहाँ आज पहले जैसी

अपनों के ही वार सहे आहत मन पर

रूख हवा का नहीं समझ जो पाए….

 

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

अलीगढ़/भोपाल   

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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