आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी द्वारा रचित दोहा सलिला – राम श्याम रहमान हरि, ईसा मूसा एक… )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 105 ☆ 

☆ दोहा सलिला – राम श्याम रहमान हरि, ईसा मूसा एक… ☆

दोहा सलिला-

ब्रम्ह अनादि-अनन्त है, रचता है सब सृष्टि

निराकार आकार रच, करे कृपा की वृष्टि

*

परम सत्य है ब्रम्ह ही, चित्र न उसका प्राप्त

परम सत्य है ब्रम्ह ही, वेद-वचन है आप्त

*

ब्रम्ह-सत्य जो जानता, ब्राम्हण वह इंसान

हर काया है ब्रम्ह का, अंश सके वह मान

*

भेद-भाव करता नहीं, माने ऊँच न नीच

है समान हर आत्म को, प्रेम भाव से सींच

*

काया-स्थित ब्रम्ह ही, ‘कायस्थ’ ले जो जान

छुआछूत को भूलकर, करता सबका मान

*

राम श्याम रहमान हरि, ईसा मूसा एक

ईश्वर को प्यारा वही, जिसकी करनी नेक

*

निर्बल की रक्षा करे, क्षत्रिय तजकर स्वार्थ

तभी मुक्ति वह पा सके, करे नित्य परमार्थ

*

कर आदान-प्रदान जो, मेटे सकल अभाव

भाव ह्रदय में प्रेम का, होता वैश्य स्वभाव

*

पल-पल रस का पान कर, मनुज बने रस-खान

ईश तत्व से रास कर, करे ‘सलिल’ गुणगान

*

सेवा करता स्वार्थ बिन, सचमुच शूद्र महान

आत्मा सो परमात्मा, सेवे सकल जहान

*

चार वर्ण हैं धर्म के, हाथ-पैर लें जान

चारों का पालन करें, नर-नारी है आन

*

हर काया है शूद्र ही, करती सेवा नित्य

स्नेह-प्रेम ले-दे बने, वैश्य बात है सत्य

*

रक्षा करते निबल की, तब क्षत्रिय हों आप

ज्ञान-दान, कुछ सीख दे, ब्राम्हण हों जग व्याप

*

काया में रहकर करें, चारों कार्य सहर्ष

जो वे ही कायस्थ हैं, तजकर सकल अमर्ष

*

विधि-हरि-हर ही राम हैं, विधि-हरि-हर ही श्याम

जो न सत्य यह मानते, उनसे प्रभु हों वाम

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

१५-६-२०२२

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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Subedarpandey

वर्ण व्यवस्था की उत्कृष्ट प्रस्तुति काव्यात्मक विधा दोहा रूप में, उत्कृष्ट प्रस्तुति बधाई अभिनंदन अभिवादन मंगलसुप्रभात आदरणीय श्री ।