श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी समसामयिक घटना पर आधारित एक भावप्रवण कविता “# काले कौए #”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 152 ☆

☆ # काले कौए #

हमारे एक मित्र ने पूछा –

भाई!

आजकल पितृपक्ष में

काले कौए क्यूं नहीं

दिखाईं देते हैं ?

मैंने कहा –

क्योंकि, 

हम साल भर उनकी

सुध नहीं लेते हैं

ना दाना

ना पानी

देते है

वो बोला –

पर यार

पितृपक्ष में

हम उनको

श्रद्धा से बुलाते हैं

अपने पूर्वजों की तरह पूजते हैं

पितरों को जल अर्पित कर

पंच पकवान थाली में रखते हैं

मै बोला, भाई –

तुम्हारे यह टोटके

पुराने हो गए हैं

वो भी नये जमाने में

सयाने हो गए हैं

पहले मुंडेर पर

कौए बैठा करते थे

जब हम छोटे

हुआ करते थे

अब ना तो गांव रहे

ना पेड़ पर

कांव कांव रहे

जो बचे हैं

वो भी अकड़ में

रहते हैं

अपनी मर्ज़ी से आयेंगे

कहते हैं

आजकल शहर में

सफेद बगुलों की

संख्या कितनी बढ़ गई है

इसलिए कौओं की मति भी

थोड़ी चढ़ गई है

भाई, जब-तक सफेद बगुलों पर

नियंत्रण नही लगाओगे ?

तब तक काले कौओं को

बचा नही पाओगे?

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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