श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है दीप पर्व पर आपकी एक भावप्रवण कविता “# गणतंत्र…#”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 114 ☆

☆ # गणतंत्र… # ☆ 

यह भारत का गणतंत्र है

समता, सद्भाव का मंत्र है

बंधुत्व, एकता का तंत्र है

धर्मनिरपेक्षता का यंत्र है

 

हर व्यक्ति को अधिकार है

हर क्षेत्र में अपार है

देश में कहीं भी, कभी भी

रहने, बसने का आधार है

 

चाहे जो हो अभिलाषा

चाहे जो हो भाषा

चाहे जो हो प्रांत

पूर्ण हो सबकी आशा

 

सब धर्मों का हो सम्मान

हर व्यक्ति हो धर्म प्राण

अपनी अपनी जीवन पद्धति

अपने रीति रिवाजों से हो निर्वाण

 

अमीर गरीब का ना भेदभाव हो

जात पात की ना कोई छांव हो

सब मनुष्य एक समान है

प्रेम, बंधुत्व का एक भाव हो

 

मतदान का अधिकार अस्त्र है

सरकार चुनने का शस्त्र है

योग्य व्यक्ति का करें चुनाव

यही तो गणतंत्र है

 

हम सब भाग्यवान है

गणतंत्र हमारी शान है

सब को एक सूत्र में बांध के रक्खा

कितना महान हमारा संविधान है

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments