श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “गोद भराई “।)
अभी अभी # 201 ⇒ गोद भराई… श्री प्रदीप शर्मा
गोद भराई ~ Baby Shower
बच्चे तो खैर प्यारे होते ही हैं,कुछ शब्द भी बड़े प्यारे होते हैं। अब भुट्टे को ही ले लीजिए,भले ही देसी हो या अमरीकन,बड़ा कड़क शब्द है,स्वाद भले ही भला हो,बोलने में तो मिठास झलकनी चाहिए। भाटे और भुट्टे में ज्यादा अंतर नहीं,सुनने में भी एक जैसे लगते हैं। वैसे भुट्टे और भुट्टो,और खांसी और फांसी में कितनी समानता नजर आती है। मुझे सुन सुन आए हांसी।
इसी भुट्टे को अंग्रेजी में कॉर्न कहते हैं,हमें तो किसी ने maize पढ़ाया था। क्या भुट्टे का बच्चा भी होता है,जी हां,इसे baby corn कहते हैं। कितना मुलायम होता है,baby corn, बिल्कुल baby जैसा। हर बच्चा,ईश्वर की देन होता है,आशीष,आशीर्वाद और ईश्वर कृपा से ही एक स्वस्थ शिशु का जन्म हो पाता है ;
अब तक छुपा है वो ऐसे
सीपी में मोती हो जैसे।
चंदा से होगा वो प्यारा फूलों से होगा वो न्यारा,
नाचेगा आंगन में छमछम
नन्हा सा मुन्ना हमारा।।
शिशु के जन्म लेने से पहले होने वाले उत्सव को गोद भराई कहा जाता है। हमारी माता वसुंधरा की गोद में कितने मोती छुपे हैं, और जितने माटी के लाल हैं, सभी तो उसकी संतान हैं वन, वनस्पति, जंगल, सोना चांदी और हीरे मोती, किस बात की कमी है उसके पास।
जगत की हर माता में धरती माता का अंश है और उसमें और जगत माता में रत्ती मात्र भी भेद नहीं। भगवान राम और कृष्ण भी जब इस धरा पर अवतरित होते हैं, तो उन्हें भी देवकी, यशोदा और कौशल्या की गोद नसीब होती है। पुरुष के नसीब में कहां यह मातृत्व सुख ! वह तो बेचारा, बाप बनकर ही खुश हो लेता है।।
जगत जननी की तरह ही होने वाले बच्च की मां की गोद भी सदा हरी भरी रहे, इसी कामना के साथ, सातवें महीने के पश्चात् गोद भराई की रस्म होती है, संसार का सभी सुख,वैभव और नाते रिश्तेदारों के प्यार,दुलार और आशीर्वाद की जब होने वाले बच्चे और उसकी मां पर वर्षा होती है, तो उसे baby shower कहते हैं।
शॉवर का सुख तो बच्चे बूढ़े सभी जानते हैं। सुख और आशीर्वाद की वर्षा बिना छप्पर फाड़े होती है, क्योंकि जच्चा बच्चा दोनों पर माता पिता, दादा दादी, नाना नानी, बुआ फूफा सहित अन्य सभी छोटे बड़े रिश्तेदार, पड़ौसी और शुभचिंतक इस गोद भराई याने बेबी शॉवर का हिस्सा होते हैं।।
सृजन का सुख संसार का सबसे बड़ा सुख है,हमने उस सरजनहार को नहीं देखा, लेकिन अपनी जन्म देने वाली मां में हमने उसे साक्षात अनुभव किया है।
बड़ा विचित्र सुख है मातृत्व में और शिशु तो सुख का सागर ही है।
सज रही मेरी गली मां, सुनहरी गोटी में..!!
© श्री प्रदीप शर्मा
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