श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “चाय के बहाने।)

?अभी अभी # 203 ⇒ चाय के बहाने… ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

मौसम के करवट बदलते ही, गुलाबी ठंड का असर मेरे गुलाबी गालों और होठों पर पड़ने लगता है।

पंखों में हवा की जगह मानो हवा में ही पंख लग गए हों। हवा के झोँकों में इतनी ताजगी रहती है, कि नींद की खुमारी तो गायब हो जाती है, लेकिन गुलाबी चाय की तलब कुछ और ही बढ़ जाती है।

पीने वाले को पीने का बहाना चाहिए, लेकिन चाय एक हकीकत है, कोई फसाना नहीं ! एक ऐसी कड़वी सच्चाई जिसके लिए झूठी कसमें नहीं खाई जाती, बस एक कप गर्मागर्म चाय से मुंह जूठा किया जाता है। होठों से छू लो तुम, मेरा स्वाद अमर कर दो।।

बंदर को भले ही अदरक का स्वाद ना मालूम हो, लेकिन चाय के स्वाद से यह जरूर पता चल जाता है कि चाय में अदरक है कि नहीं। मसाले वाली चाय में तो तुलसी, अदरक, लौंग इलायची और दालचीनी के अलावा भी बहुत कुछ डाला जाता है। जो नर सुरापान नहीं करते, उन्हें तो चाय की चुस्कियों में ही जन्नत नजर आ जाती है।

अगर चाय में नशा ना होता, तो हर नर इस तरह मोदी मोदी नहीं करता।

चाय पीने वालों के भी विभिन्न स्तर और स्टाइल होती हैं। कौन मेहमान आज प्लेट में चाय डालकर

चाय पीता नहीं, सुड़कता है। एक चाय ट्रे की चाय कहलाती है। दूध अलग, चाय का खौलता पानी अलग। अपनी पसंद अनुसार दूध और शकर मिलाएं और चाय का स्वाद लें। शुगर फ्री चाय भी लोग बिना शुगर फ्री डाले नहीं पीते।।

अधिक चाय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है, इसलिए डॉक्टर कॉफी पीने की सलाह देते हैं।

एक चायवाले ने न केवल हमारे जीवन में क्रांति ला दी है, आजकल चाय के जीवन में भी हरित क्रांति ने प्रवेश कर लिया है।

घर घर मोदी की तरह, घर घर ग्रीन टी का प्रचलन बढ़ गया है। यह वजन नहीं बढ़ाती, कोलोस्ट्राल घटाती है। जो लड़की अपने फिगर से करे प्यार, वह ग्रीन टी से कैसे करे इंकार। लेकिन कुछ लोगों को क्रांति हजम नहीं होती।

सम्पूर्ण क्रांति से जले लोग आज आंदोलन का हर कदम फूंक फूंक कर रखते हैं।।

सबसे भली चाय के प्याले की क्रांति है। कड़क उबली हुई चाय की तुलना आप बासी कढ़ी में उबाल से नहीं कर सकते। अगर जल ही जीवन है तो चाय भी एक जीवन शैली है।

गर्म चाय की भाप ना केवल फिक्र को वाष्प के साथ उड़ाती है, कई लोगों के लिए थिंक टैंक का काम भी करती है।

पीना था हमको चाय

ठिकाने बना लिए।

तलब थी लब की

हमने बहाने बना लिए।।

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments