श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं।)
संजय दृष्टि – यात्रा
यात्रा पर हूँ। बृहद जीवनयात्रा में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की लघुकाय सहज यात्रा पर हूँ। ध्यान रहे कि जीवनयात्रा को बृहद कहा है क्योंकि जीवनयात्रा एक जन्म तक सीमित नहीं है। वह जन्म-जन्मांतर अबाध है। सृष्टि में आने, सृष्टि से जाने, चोला बदल-बदल कर फिर-फिर आने की यात्रा है जीवनयात्रा। अधिकांश समय यात्रा पर ही रहते हैं मेरे जैसे जीव। अपवादस्वरूप किंचित जन परिक्रमा से मुक्त होकर यात्रा के नियंता वर्ग में सम्मिलित हो जाते हैं। घोष से मुक्त मोक्ष को, परित्राण से परे निर्वाण को प्राप्त हो जाते हैं।
जानता हूँ कि मोक्ष की योग्यता नहीं है मेरी। यदि कल्पना करूँ कि मोक्ष और यात्रा में से किसी एक को चुनने का विकल्प मिले तो मैं यात्रा चुनूँगा। कितना देती है हर यात्रा! लघुकाय यात्रा भी महाकाय जीवनयात्रा के दर्शन के किसी न किसी अंश को आत्मसात करने में सहायक होती है। कागज़ और कलम साथ हों तो हर यात्रा मुझे मोक्ष की प्रतीति कराती है।
आज फिर मोक्ष में हूँ।
© संजय भारद्वाज
अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस कॉलेज (स्वायत्त) अहमदनगर ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
संजयउवाच@डाटामेल.भारत
☆ आपदां अपहर्तारं ☆
श्री लक्ष्मी-नारायण साधना सम्पन्न हुई । अगली साधना की जानकारी शीघ्र ही दी जाएगी
अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं।
≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈