श्री यशोवर्धन पाठक

(ई-अभिव्यक्ति में प्रत्येक सोमवार प्रस्तुत है नया साप्ताहिक स्तम्भ कहाँ गए वे लोग के अंतर्गत इतिहास में गुम हो गई विशिष्ट विभूतियों के बारे में अविस्मरणीय एवं ऐतिहासिक जानकारियाँ । इस कड़ी में आज प्रस्तुत है एक बहुआयामी व्यक्तित्व “बहुमुखी प्रतिभा के धनी – स्व. प्रोफेसर एन. बी.गोस्वामी” के संदर्भ में अविस्मरणीय ऐतिहासिक जानकारियाँ।)

स्व. प्रोफेसर एन. बी.गोस्वामी
☆ कहाँ गए वे लोग # ५५ ☆
☆ “बहुमुखी प्रतिभा के धनी – स्व. प्रोफेसर एन. बी.गोस्वामी” ☆ श्री यशोवर्धन पाठक ☆
यूं तो तुम मशहूर बहुत थे,
पर प्रचार से दूर बहुत थे।
तुम निश्छल थे बहुत सरल थे
सिद्धांतों पर सदा अटल थे।
निर्भीक और निष्पक्ष बहुत थे।
शिक्षण में तुम दक्ष बहुत थे
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उपरोक्त पंक्तियों की सार्थकता सिद्ध करने वाले श्रद्धेय श्री एन. बी . गोस्वामी जी के अनुपम व्यक्तित्व और प्रेरक कृतित्व के विषय में जब कुछ लिखने बैठा हूं तो मैं समझता हूं कि गोस्वामी जी शिक्षाविद तो थे ही साथ में आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, सामाजिक क्षेत्र के काफी अच्छे जानकार याने एक ऐसे चिंतक जिनके स्पष्ट और निष्पक्ष दृष्टिकोण से काफी लोग प्रभावित भी थे। गोस्वामी जी को हम सभी दादा कहकर संबोधित और सम्मानित करते थे और वे भी सभी से बड़े भाई जैसा ही निश्चल प्यार करते। चूंकि दादा को संगीत, बागवानी इत्यादि का काफी शौक था। जन कल्याण के लिए होम्योपैथी को उन्होंने अपने जीवन का पावन उद्देश्य बनाकर रखा था। बहुमुखी प्रतिभा के धनी और कल्याणकारी गतिविधियों के लिए समर्पित गोस्वामी दादा सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र में यशस्वी, मनस्वी और तपस्वी व्यक्तित्व के रूप में चर्चित थे।
प्रोफेसर श्री एन. बी. गोस्वामी जी का वैसे तो पूरा नाम श्री नीरद बरन गोस्वामी था लेकिन शैक्षणिक और सामाजिक में क्षेत्र वे प्रोफेसर एन. बी . गोस्वामी के रूप में ही प्रतिष्ठित थे। पिता श्री नरेन्द्र नाथ गोस्वामी और माता श्रीमती देवयानी गोस्वामी के ज्येष्ठ पुत्र प्रोफेसर गोस्वामी जी का जन्म 22 .05.1935 को हुआ था। अपनी कर्म भूमि जबलपुर से ही उन्होंने क्रिश्चियन बायस स्कूल और तत्कालीन राॅबर्टसन कालेज से शिक्षा अर्जित की और एम. एस. सी. इन एप्लाइड फिजिक्स की डिग्री प्राप्त करने के बाद प्रारंभ में चार वर्ष तक राॅबर्टसन कालेज में ही प्राध्यापक के रूप में सेवायें दी और बाद में गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज जबलपुर में प्राध्यापक के रूप में कुशलता और सफलता के साथ कार्य किया। अपने सेवा काल के दौरान श्री गोस्वामी जी ने फिजिक्स विषय को लेकर एक शोध परक पुस्तक भी लिखी जो कि छात्रों के लिए पठनीय और उपयोगी सिद्ध हुई। गोस्वामी जी गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज जबलपुर से अपनी गरिमामयी शिक्षण सेवाओं के बाद 1995 में सेवा निवृत्त हुए। उनके छात्र बताते हैं कि कालेज में उनके व्याख्प्यान अत्यंत ज्ञानवर्धक और प्रभावी हुआ करते थे। उनके छात्र उनके प्रति विशेष श्रद्धा रखते थे। गोस्वामी जी भी अपने छात्रों के लिए गुरु और संरक्षक दोनों की ही भूमिका का निर्वाह करते थे। यही कारण था कि सेवा निवृत्ति के बाद भी उनके छात्र उनके निऱंतर संपर्क में रहते थे। यह गोस्वामी जी की समर्पित और सक्रिय सेवाओं का ही प्रतिफल था।
अपने अध्ययन काल के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स में विशेष रुचि और दक्षता होने के कारण उन्होंने अपने जीवन का पहला आविष्कार किया। उन्होंने काफी प्रयास और परिश्रम के बाद रेडियो का निर्माण किया। वर्षों से कोलकाता ऑल इंडिया रेडियो से पितृमोक्ष अमावस्या के दिन सुबह चार बजे दुर्गा जी का मंत्रों और भक्तिमय संगीत के आव्हान का प्रसारण किया जाता था। उस समय सिर्फ गोस्वामी जी घर में रेडियो होने के कारण मुहल्ले के सभी बंगाली परिवार सुबह सुबह घर में एकत्रित होकर इस प्रसारण का आनंद लेते थे जो कि उस समय परिवार के लोगों के लिए यह अति हर्ष और गौरव का विषय था।
जीवन जीने की कला की सीख देने वाले हम सभी के प्रेरणास्रोत प्रोफेसर श्री एन. बी. गोस्वामी जी 6. 5.2021 को हम सबको छोड़ कर अनंत में विलीन हो गए लेकिन उनके साथ बिताए गए पल हमारे जीवन की अनमोल धरोहर रहेंगे और यह बात भी सही है कि दादा जाते जाते हमें राष्ट्र कवि स्व. श्री मैथिलीशरण गुप्त की इन पंक्तियों में सार्थक जीवन का एक ऐसा प्रेरक संदेश भी दे गए जो कि किसी भी व्यक्ति की विकास यात्रा का मूल मंत्र भी सिद्ध हो सकता है —
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कुछ काम करो, कुछ काम करो,
जग में रहकर कुछ नाम करो।
यह जन्म लिया किस अर्थ अहो,
समझो जिसमें कुछ व्यर्थ न हो।
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© श्री यशोवर्धन पाठक
पूर्व प्राचार्य, राज्य सहकारी प्रशिक्षण, संस्थान, जबलपुर
संकलन – श्री प्रतुल श्रीवास्तव
संपर्क – 473, टीचर्स कालोनी, दीक्षितपुरा, जबलपुर – पिन – 482002 मो. 9425153629
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आप गत अंकों में प्रकाशित विभूतियों की जानकारियों के बारे में निम्न लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं –
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # १ ☆ कहाँ गए वे लोग – “पंडित भवानी प्रसाद तिवारी” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # २ ☆ डॉ. राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’ ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ३ ☆ यादों में सुमित्र जी ☆ श्री यशोवर्धन पाठक ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ४ ☆ गुरुभक्त: कालीबाई ☆ सुश्री बसन्ती पवांर ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ५ ☆ व्यंग्यकार श्रीबाल पाण्डेय ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ६ ☆ “जन संत : विद्यासागर” ☆ श्री अभिमन्यु जैन ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ७ ☆ “स्व गणेश प्रसाद नायक” – लेखक – श्री मनोहर नायक ☆ प्रस्तुति – श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ८ ☆ “बुंदेली की पाठशाला- डॉ. पूरनचंद श्रीवास्तव” ☆ डॉ.वंदना पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ९ ☆ “आदर्श पत्रकार व चिंतक थे अजित वर्मा” ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ११ – “स्व. रामानुज लाल श्रीवास्तव उर्फ़ ऊँट बिलहरीवी” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # १२ ☆ डॉ. रामदयाल कोष्टा “श्रीकांत” ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # १३ ☆ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, लोकप्रिय नेता – नाट्य शिल्पी सेठ गोविन्द दास ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # १४ ☆ “गुंजन” के संस्थापक ओंकार श्रीवास्तव “संत” ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # १५ ☆ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, कविवर – पंडित गोविंद प्रसाद तिवारी ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # १६ – “औघड़ स्वाभाव वाले प्यारे भगवती प्रसाद पाठक” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # १७ – “डॉ. श्री राम ठाकुर दादा- समाज सुधारक” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # १८ – “राजकुमार सुमित्र : मित्रता का सगुण स्वरुप” – लेखक : श्री राजेंद्र चन्द्रकान्त राय ☆ साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # १९ – “गेंड़ी नृत्य से दुनिया भर में पहचान – बनाने वाले पद्मश्री शेख गुलाब” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # २० – “सच्चे मानव थे हरिशंकर परसाई जी” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # २१ – “ज्ञान और साधना की आभा से चमकता चेहरा – स्व. डॉ कृष्णकांत चतुर्वेदी” ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # २२ – “साहित्य, कला, संस्कृति के विनम्र पुजारी स्व. राजेन्द्र “रतन”” ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # २३ – “मेरी यादों में, मेरी मुंह बोली नानी – सुभद्रा कुमारी चौहान” – डॉ. गीता पुष्प शॉ ☆ प्रस्तुती – श्री जय प्रकाश पांडे ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # २४ – “संस्कारधानी के सिद्धहस्त साहित्यकार -पं. हरिकृष्ण त्रिपाठी” – लेखक : श्री अजय कुमार मिश्रा ☆ संकलन – श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # २५ – “कलम के सिपाही – मुंशी प्रेमचंद” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # २६ – “यादों में रहते हैं सुपरिचित कवि स्व चंद्रकांत देवताले” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # २७– “स्व. फ़िराक़ गोरखपुरी” ☆ श्री अनूप कुमार शुक्ल ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # २८ – “पद्मश्री शरद जोशी” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # २९ – “सहकारिता के पक्षधर विद्वान, चिंतक – डॉ. नंद किशोर पाण्डेय” ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ३० – “रंगकर्मी स्व. वसंत काशीकर” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ३१ – “हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, फारसी के विद्वान — कवि- शायर पन्नालाल श्रीवास्तव “नूर”” ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ३२ – “साइकिल पर चलने वाले महापौर – शिक्षाविद्, कवि पं. रामेश्वर प्रसाद गुरु” ☆ डॉ. वंदना पाण्डेय” ☆ डॉ.वंदना पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ३३ – “भारतीय स्वातंत्र्य समर में क्रांति की देवी : वीरांगना दुर्गा भाभी” ☆ डॉ. आनंद सिंह राणा ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ३४ – “जिनके बिना कोर्ट रूम भी सूना है : महाधिवक्ता स्व. श्री राजेंद्र तिवारी” ☆ डॉ. वंदना पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ३५ – “सच्चे मानव – महेश भाई” – डॉ महेश दत्त मिश्रा” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ३६ – “महिलाओं और बच्चों के लिए समर्पित रहीं – विदुषी समाज सेविका श्रीमती चंद्रप्रभा पटेरिया” ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ३७ – “प्यारी स्नेहमयी झाँसी वाली मामी – स्व. कुमुद रामकृष्ण देसाई” ☆ श्री सुधीरओखदे ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ४४ – “कर्णदेव की दान परम्परा वाले, कटनी के पान विक्रेता स्व. खुइया मामा” ☆ श्री राजेंद्र सिंह ठाकुर ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ४५ – “सिद्धांतवादी पत्रकार – स्व. महेश महदेल” ☆ डॉ. वंदना पाण्डेय ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ४६ – “मधुर गीतकार- स्व. कृष्णकुमार श्रीवास्तव ‘श्याम’” ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ४७ – “साहित्य के प्रति समर्पित : आदरणीय राजकुमार सुमित्र जी” ☆ श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ४८ – “गीतों के राजकुमार मणि “मुकुल”- स्व. मणिराम सिंह ठाकुर “मणि मुकुल” ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ४९ – “शिक्षाविद और सहकारिता मनीषी – स्व. डा. सोहनलाल गुप्ता” ☆ श्री यशोवर्धन पाठक ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ५० – “मंडला, जबलपुर के गौरव रत्न – श्रद्धेय स्व. श्री रामकृष्ण पांडेय” ☆ श्री यशोवर्धन पाठक ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ५१ – “चर्चित कथाकार एवं मेरे श्रद्धेय अग्रज – स्व. श्री हर्षवर्धन जी पाठक” ☆ श्री यशोवर्धन पाठक ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ५२ – “सुप्रसिद्ध साहित्यकार और शिक्षाविद – स्व. श्री इन्द्र बहादुर खरे और उनका सृजन” ☆ श्री यशोवर्धन पाठक ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ५३ – “प्रखर पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी – स्व. पं. कुंजबिहारी जी पाठक” ☆ श्री यशोवर्धन पाठक ☆
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कहाँ गए वे लोग # ५४ – “माडल हाई स्कूल के पूज्य शिक्षक स्मृति शेष रमेश कुमार पांडेय जी” ☆ श्री यशोवर्धन पाठक ☆
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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈