☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्यिक गतिविधियाँ ☆ भोपाल से – सुश्री मनोरमा पंत 🌹

(विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

🌹प्रवासी तथा विश्व  हिन्दी दिवस का आयोजन संपन्न🌹

प्रवासी भारतीय साहित्य  एवं संस्कृति शोध केन्द्र  एवं  रविन्द्र नाथ टैगोर  विश्व विद्यालय द्वारा प्रवासी तथा विश्व  हिन्दी दिवस का आयोजन किया गया।   

“हिंदी अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में भारत सहित विश्व के कई देशों में बोली जाने वाली एक महत्वपूर्ण भाषा के रूप में स्थापित हो गई है। हिंदी का विस्तार अनवरत जारी है। यहीं सही समय है जब हमें पूरी आधुनिकता के साथ वैश्विक स्तर पर हिंदी को रोजगार की भाषा के रूप में स्थापित करना चाहिए।” 

उक्त उद्गार लिस्बन विश्वविद्यालय, पुर्तगाल से भारत प्रवास पर आये डॉ. शिवकुमार सिंह ने प्रवासी दिवस एवं विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल द्वारा ‘विश्व में हिंदी : हिंदी का विश्व’ विषय पर विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित ‘परिसंवाद’ को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एव॔ विश्व रंग के निदेशक श्री संतोष चौबे ने की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद, नई दिल्ली के मानद निदेशक श्री नारायण कुमार ने कहा कि – “आज के समय में हिंदी विश्व के इतने देशों में बोली जा रही हैं कि हम गर्व से कह सकते है कि हिंदी के राज में अब सूर्यास्त नहीं होता।”

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री संतोष चौबे ने  की ।

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भोपाल में पाँचवे लिटरेचर फेस्टिवल का शुभारंभ – इस फैस्टिवल का शुभारंभ चर्चित पुस्तक ‘डायमंडस आर फार एवर ‘सो आर मोरल्स’ के लेखक गोविन्द ढोलकिया, वास्तुकार क्रिस्टोफर बेनिंगर, राघव चन्द्रा, अभिलाष खांडेकर, डीके मेहता, और हजूर हबीब के द्वारा हुआ। फेस्टिवल में अनेक पुस्तकों पर चर्चा हुई ।

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दूसरा सत्र कहानी पाठ आदरणीय शंशाक जी की अध्यक्षता में हुआ, जिसमें हरीश पाठक, नीलिमा शर्मा, और हरि भटनागर ने कहानी पाठ किया।

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तीसरा सत्र प्रबोध गोविल की अध्यक्षता में लघुकथा पाठ का रहा।

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भोपाल ‘लिटरेचर एंड आर्ट फेस्टिवल’ के तीन दिनी महाकुंभ का आगाज भारत भवन में हुआ जिसका दूसरा दिन – सेलेब्रिटी आनर्स के नाम रहा। कबीर बेदी, रंजीता दिवेकर आई सी आई सी आई संजय यादव, पूर्व हाई कमिश्नर, टीसीएस राघवन, व एक्स कैग मेम्बर विनोद राय, पद्मश्री सोवना नारायण के सेशनों एवं थैंक्स, क्रिटिक्स, पब्लिशर्स एवं लिटरेचर लवर्स से पूरा भारत भवन कैम्पस गुलजार रहा ।

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‘तुलसी साहित्य अकादमी’ की सृजन श्रंखला 29 की बांसतिक काव्यगोष्ठी वरिष्ठ साहित्यकार डा .गौरीशंकर गौरीश की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।

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हेमन्त फाउन्डेशन एवं अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच का राष्ट्रीय सम्मेलन दिनांक 15 जनवरी को सम्पन्न हुआ। पहला सत्र विधा पुरस्कार तथा सम्मान  का था जिसमें  विश्व मैत्री  मंच की संस्थापक संतोष श्रीवास्तव के दिवंगत पुत्र, युवा कवि हेमन्त को उनकी  कविताओं के पाठ से याद किया। युवा गजलकार सुभाष पाठक ‘जिया’ को उनके गजल संग्रह “तुम्हीं से जिया है” के लिये सम्मानित किया गया।

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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय  मानव संग्रहालय में ‘छत्तीसगढ का सांस्कृतिक भूगोल’ विषय पर डा. राहुल कुमार सिंह पुरातत्वविद एवं संस्कृतिकर्मी द्वारा व्याख्यान  का आयोजन  किया गया।

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अविरल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में यात्रा गोष्ठी का आयोजन किया गया।

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दुष्यन्त संग्रहालय में उषा सक्सेना की दो पुस्तकों ‘कामदेव’ – खंड काव्य तथा ‘आगड़ बम बागड़ बम‘, – बाल कविता का लोकार्पण साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के निदेशक श्री विकास दवे, वरिष्ठ साहित्यकार नरेन्द्र  दीपक एवं महेश सक्सेना द्वारा हुआ।

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‘सृजन ग्लोबल एवं त्रिवेणी’ संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ‘विजयी विश्व तिरंगा’ पुस्तक  चर्चा एवं काव्य पाठ हुआ।

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‘लघुकथा शोध संस्थान’ की निदेशक कांता राय के निर्देशन में विगत सप्ताह निम्न लिखित पुस्तकों पर चर्चा हुई –

गोदान के बाद – डा.प्रभुदयाल मंढइया

चाँद की चाहत – डा.प्रभुदयाल मंढइया

खैर पता है हुजूर – उपन्यास – सुश्री उर्मिला शिरीष

जो देखा आपने – डा. अखिलेश वार्चे

आस तीस का लाडू – निमाड़ी लघुकथा – विजय जोशी

मिथ्या मंजिल और मौजूदगी – श्री अशोक मनवानी

🌹 पुस्तक पखवाड़े का समापन 🌹 

पुस्तक पखवाड़े के समापन सत्र में टैगोर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री संतोष चौबे की दो पुस्तकों ‘इस अ-कवि समय में’ कविता संग्रह तथा ‘दस कहानियाँ’ पर चर्चा हुई। इस सत्र की अध्यक्षता मध्यप्रदेश साहित्य एवं संस्कृति परिषद के निदेशक श्री विकास दवे ने की। उन्होंने नई पीढी को पुस्तकों से जोड़ने के लिये ‘पुस्तक पखवाड़ा’ जैसे आयोजनों के महत्व को बताया।

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साभार – सुश्री मनोरमा पंत, भोपाल (मध्यप्रदेश) 

 ≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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