श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, अतिरिक्त मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी, जबलपुर ) में कार्यरत हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है।  उनका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं । आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है  श्री  अरविन्द तिवारी जी  के  व्यंग्य -संग्रह  डोनाल्ड ट्रम्प की नाक” पर श्री विवेक जी की पुस्तक चर्चा । )

पुस्तक चर्चा के सम्बन्ध में श्री विवेक रंजन जी की विशेष टिपण्णी :- पठनीयता के अभाव के इस समय मे किताबें बहुत कम संख्या में छप रही हैं, जो छपती भी हैं वो महज विज़िटिंग कार्ड सी बंटती हैं ।  गम्भीर चर्चा नही होती है  । मैं पिछले 2 बरसो से हर हफ्ते अपनी पढ़ी किताब का कंटेंट, परिचय  लिखता हूं, उद्देश यही की किताब की जानकारी अधिकाधिक पाठकों तक पहुंचे जिससे जिस पाठक को रुचि हो उसकी पूरी पुस्तक पढ़ने की उत्सुकता जगे। यह चर्चा मेकलदूत अखबार, ई अभिव्यक्ति व अन्य जगह छपती भी है । जिन लेखकों को रुचि हो वे अपनी किताब मुझे भेज सकते हैं।   – विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘ विनम्र’

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 32 ☆ 

☆ पुस्तक चर्चा – व्यंग्य-संग्रह   – डोनाल्ड ट्रम्प की नाक 

पुस्तक – डोनाल्ड ट्रम्प की नाक ( व्यंग्य-संग्रह) 

लेखक – श्री अरविंद तिवारी 

प्रकाशक – किताबगंज प्रकाशन, दिल्ली

मूल्य – रु 195/- पृष्ठ – 124

ISBN  9789388517560

हिंदी बुक सेण्टर पर ऑनलाइन उपलब्ध  >> डोनाल्ड ट्रम्प की नाक ( व्यंग्य-संग्रह)

 

☆  व्यंग्य – संग्रह   –  डोनाल्ड ट्रम्प की नाक – श्री  अरविन्द तिवारी –  चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव

 

इस सप्ताह व्यंग्य के एक अत्यंत सशक्त सुस्थापित मेरे अग्रज वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री अरविन्द तिवारी जी की नई व्यंग्य कृति डोनाल्ड ट्रम्प की नाक पढ़ने का अवसर मिला. तिवारी जी के व्यंग्य अखबारो, पत्र पत्रिकाओ सोशल मीडिया में गंभीरता से नोटिस किये जाते हैं. जो व्यंग्यकार चुनाव टिकिट और ब्रम्हा जी, दीवार पर लोकतंत्र, राजनीति में पेटीवाद, मानवीय मंत्रालय, नल से निकला सांप, मंत्री की बिन्दी, जैसे लोकप्रिय, पुनर्प्रकाशित संस्करणो से अपनी जगह सुस्थापित कर चुका हो उसे पढ़ना कौतुहल से भरपूर होता है. व्यंग्य संग्रह  ही नही तिवारी जी ने दिया तले अंधेरा, शेष अगले अंक में हैड आफिस के गिरगिट, पंख वाले हिरण शीर्षको से व्यंग्य उपन्यास भी लिखे हैं. बाल कविता, स्तंभ लेखन के साथ ही उनके कविता संग्रह भी चर्चित रहे हैं. वे उन गिने चुने व्यंग्यकारो में हैं जो अपनी किताबों से रायल्टी अर्जित करते दिखते हैं. तिवारी जी नये व्यंग्यकारो की हौसला अफजाई करते, तटस्थ व्यंग्य कर्म में निरत दिखते हैं.

पाठको से उनकी यह किताब पढ़ने की अनुशंसा करते हुये मैं किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं हूं. जब आप स्वयं ४० व्यंग्यों का यह  संग्रह पढ़ेंगे तो आप स्वयं उनकी लेखनी के पैनेपन के मजे ले सकेंगे. प्रमाण पत्रो वाला देश, अपने खेमे के पिद्दी, राजनीति का रिस्क, साहित्य के ब्लूव्हेल, व्यंग्य के मारे नारद बेचारे, दिल्ली की धुंध और नेताओ का मोतियाबिन्द, पुस्तक मेले का लेखक मंच, उठौ लाल अब डाटा खोलो, पूरे वर्ष अप्रैल फूल, अपना अतुल्य भारत, जुगाड़ टेक्नालाजी, देशभक्ति का मौसम, टीवी चैनलो की बहस और  शीर्षक व्यंग्य डोनाल्ड ट्रम्प की नाक सहित हर व्यंग्य बहुत सामयिक, मारक और संदेश लिये हुये है.इन व्यंग्य लेखो की विशेषता है कि सीमित शब्द सीमा में सहज घटनाओ से उपजी मानसिक वेदना  को वे प्रवाहमान संप्रेषण देते हैं, पाठक जुड़ता जाता है, कटाक्षो का मजा लेता है,  जिसे समझना हो वह व्यंग्य में छिपा अंतर्निहित संदेश पकड़ लेता है, व्यंग्य पूरा हो जाता है. मैं चाहता हूं कि इस पैसा वसूल व्यंग्य संग्रह को पाठक अवश्य पढ़ें.

 

चर्चाकार .. विवेक रंजन श्रीवास्तव

ए १, शिला कुंज, नयागांव, जबलपुर ४८२००८

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments