श्री घनश्याम अग्रवाल
(श्री घनश्याम अग्रवाल जी वरिष्ठ हास्य-व्यंग्य कवि हैं. आज प्रस्तुत है बाल दिवस पर आपकी एक विचारणीय लघुकथा – “टिप”)
☆ कथा-कहानी ☆ बाल दिवस विशेष – लघुकथा – “टिप” ☆ श्री घनश्याम अग्रवाल ☆
(14 नवंबर को “बाल दिवस” था। इन जैसे “छोकरों” को भी बधाई।)
उन तीनों की होटल आज खूब चली। मालिकों को अच्छी कमाई हुई। देर रात तक होटल में काम करने वाले तीन छोकरे होटल से बाहर अपने घर की ओर निकले। आज की अतिरिक्त थकान को दिल की खुशी सहला रही थी। और दिल इसलिए खुश था, कि मालिकों का मूड आज अच्छा होने से इन्हें कुछ टिप् भी मिली।
पहला- “आज सेठ मूड में था, उसने दस रुपये मुझे टिप् के दिए।”
दूसरा- “मुझे रुपये तो नहीं, पर सेठ मूड में था, बोला- बचा हुआ खाना घर को ले जा।”
तीसरा- “मेरा सेठ भी आज मूड में था, जैसे ही गिलास मेरे हाथ से फूटा, वैसे ही उसने रोज की तरह चाँटा मारा। मगर आज जरा धोरे से।”
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© श्री घनश्याम अग्रवाल
(हास्य-व्यंग्य कवि)
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