ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

☆ आलेख ☆ पितृपक्ष में वास्तु शास्त्र से जुड़े महत्वपूर्ण सुझाव ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

पितृपक्ष में वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे और पितरों की कृपा प्राप्त हो। यहाँ पितृपक्ष में वास्तु शास्त्र से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं:

1. घर की सफाई और शुद्धिकरण

सफाई: पितृपक्ष में घर के हर कोने की अच्छी तरह सफाई करें, खासकर घर के उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) की। गंदगी और धूल को हटाएं क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत हो सकती है।

शुद्धिकरण: घर में गंगा जल या गौमूत्र का छिड़काव करें। इसके अलावा, धूप, कपूर, या लोबान जलाकर घर में शुद्धि करें। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक वातावरण बनता है।

2. पितरों का स्थान

उत्तर दिशा में स्थान: पितरों की तस्वीरें या उनकी पूजा के लिए स्थान घर के उत्तर दिशा में होना चाहिए, क्योंकि यह दिशा पितरों के लिए शुभ मानी जाती है।

दीपक और अगरबत्ती: प्रतिदिन शाम के समय पितरों के स्थान पर दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं। इससे वातावरण शुद्ध और सकारात्मक रहता है।

3. प्रकाश और वेंटिलेशन

प्राकृतिक प्रकाश: घर में पर्याप्त प्राकृतिक प्रकाश और हवा का प्रवाह सुनिश्चित करें। घर के अंदरुनी हिस्सों में रोशनी की कमी न होने दें, खासकर पूजा स्थल पर।

खिड़कियां और दरवाजे: सुबह और शाम के समय खिड़कियां और दरवाजे खोलें ताकि ताजगी और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो सके।

4. वास्तु दोष निवारण

दोष मुक्त करें: घर में यदि कोई वास्तु दोष हो, तो उसे पितृपक्ष के दौरान निवारण करने का प्रयास करें, जैसे कि टूटा हुआ सामान, कूड़ा-कर्कट, या बेकार सामान हटाएं।

ध्यान केंद्र: घर में पितरों के लिए एक शुद्ध और शांतिपूर्ण स्थान निर्धारित करें जहाँ नियमित रूप से ध्यान, तर्पण, और पूजा की जा सके।

5. शांति और साधना का वातावरण

शांति बनाए रखें: घर में शांति और सुकून का माहौल बनाए रखें। परिवार के सदस्यों के बीच विवाद या कलह न होने दें।

ध्यान और मंत्र जाप: नियमित रूप से पितरों के लिए मंत्र जाप और ध्यान करें, खासकर ईशान कोण में बैठकर।

6. पानी के स्रोत का ध्यान

पानी की व्यवस्था: घर में पानी का स्रोत (जैसे कि नल, टंकी) पवित्र और साफ रखें। पानी का रिसाव या नल का टपकना वास्तु दोष माना जाता है, इसे जल्द ठीक करवाएं।

7. पित्रों के लिए तर्पण स्थान

उत्तर दिशा की ओर मुख करके करें तर्पण: पितृ पक्ष में तर्पण या पिंडदान करते समय उत्तर दिशा की ओर मुख करके करें, क्योंकि यह दिशा पितरों की मानी जाती है।

8. रसोईघर और भोजन

रसोई में साफ-सफाई: रसोई घर को साफ रखें और वहां से आने वाले धुएं और गंध को बाहर जाने दें। अन्न को सम्मान दें और श्राद्ध के भोजन में शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।

भोजन का दान: जरूरतमंदों, ब्राह्मणों या गायों को भोजन दान करें। इससे पितरों को संतुष्टि मिलती है।

9. सकारात्मक चित्र और प्रतीक

धार्मिक प्रतीक: घर में पवित्र और धार्मिक प्रतीकों (जैसे ॐ, स्वास्तिक) का प्रयोग करें। इससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

इन सब उपायों से पितृपक्ष में वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में सकारात्मकता बनी रहेगी और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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