ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 44 ☆ ई-अभिव्यक्ति  वेबसाइट को मिला 1,00,800+ विजिटर्स (सम्माननीय एवं प्रबुद्ध लेखकगण/पाठकगण) का प्रतिसाद ☆ – हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति:  संवाद–44

☆ ई-अभिव्यक्ति  वेबसाइट को मिला 1,00,800+ विजिटर्स (सम्माननीय एवं प्रबुद्ध लेखकगण/पाठकगण) का प्रतिसाद

 प्रिय मित्रों,

आज के संवाद के माध्यम से मुझे पुनः आपसे विमर्श का अवसर प्राप्त हुआ है।

‘ई-अभिव्यक्ति  वेबसाइट को मिला 1,00,800+ विजिटर्स (सम्माननीय एवं प्रबुद्ध लेखकगण/पाठकगण) का प्रतिसाद’ शीर्षक से आपके साथ संवाद करना निश्चित ही मेरे लिए गौरव के क्षण हैं।  इस अकल्पनीय प्रतिसाद एवं इन क्षणों के आप ही भागीदार हैं। यदि आप सब का सहयोग नहीं मिलता तो मैं इस मंच पर इतनी उत्कृष्ट रचनाएँ देने में  स्वयं को असमर्थ पाता। मैं नतमस्तक हूँ आपके अपार स्नेह के लिए।  आप सबका हृदयतल से आभार। 

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वैसे तो मुझे कल ही आपसे विमर्श करना था जब आगंतुकों की संख्या 1,00,000 के पार हो गई थी। किन्तु, हृदय कई बातों को लेकर विचलित था। उनमें कुछ आपसे साझा करना चाहूंगा। कल मेरे परम पूज्य पिताश्री टी डी बावनकर जी की पुण्य तिथि थी, जिनके बिना मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं होता। यह सप्ताह भोपाल गैस त्रासदी का गवाह था जिसमें कई निर्दोष लोगों की जान गई जिनकी स्मृतियाँ उनके परिजनों के अतिरिक्त किसी के पास नहीं हैं। यह सप्ताह ‘एक और निर्भया’ की हृदयविदारक पीड़ा को समर्पित था। और कल के ही दिन भारत के संविधान निर्माता डॉ भीमराव आम्बेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस था। भला ऐसे में लेखनी कैसे चलती?

मेरे पास ‘एक और निर्भया’ से सम्बंधित और समय समय पर ‘जीवन के कटु सत्य’ को उजागर करती  रचनाएँ आती हैं किन्तु, स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति की सीमाएं मुझे प्रकाशित करने से रोकती हैं जिसके लिए मैं सम्माननीय लेखकगणों से करबद्ध क्षमा चाहूंगा। इस सन्दर्भ में मैं अपने परम आदरणीय गुरुवर डॉ राजकुमार ‘ सुमित्र’ जी की आशीर्वाद स्वरुप कविता उद्धृत करना चाहूंगा जो मेरी मार्गदर्शक हैं और इस वेबसाइट के मुखपृष्ठ पर अंकित हैं।

सन्दर्भ : अभिव्यक्ति 

संकेतों के सेतु पर, साधे काम तुरन्त ।
दीर्घवायी हो जयी हो, कर्मठ प्रिय हेमन्त ।।

काम तुम्हारा कठिन है, बहुत कठिन अभिव्यक्ति।
बंद तिजोरी सा यहाँ,  दिखता है हर व्यक्ति ।।

मनोवृत्ति हो निर्मला, प्रकट निर्मल भाव।
यदि शब्दों का असंयम, हो विपरीत प्रभाव।।

सजग नागरिक की तरह, जाहिर  हो अभिव्यक्ति।
सर्वोपरि है देशहित, बड़ा न कोई व्यक्ति ।।

 –  डॉ राजकुमार “सुमित्र”

आपसे काफी कुछ कहना है और अब मेरा प्रयास रहेगा कि मैं आपसे नियमित संवाद करूँ। आशा है ईश्वर मुझे मेरी लेखनी को आपसे जोड़ने की शक्ति प्रदान करे।  अंत में मैं गैस त्रासदी पर अपनी रचना के कुछ अंश के माध्यम से श्रद्धांजलि देते हुए लेखनी को क्षणिक विराम देता हूँ।

गैस त्रासदी की बरसी पर स्मृतिवश!

और …. दूर

गैस के दायरे में
एक अबोध बच्चा रो रहा था।
ज्योतिषी ने
जिस युवा को
दीर्घजीवी बताया था।
वह सड़क पर गिरकर
चिर निद्रा में सो रहा था।
अफसोस!
अबोध बच्चे….. कथित दीर्घजीवी
हजारों मृतकों के प्रतीक हैं।
उस रात
हिन्दू मुस्लिम
सिक्ख ईसाई
अमीर गरीब नहीं
इंसान भाग रहा था।
जिस ने मिक पी ली
उसे मौत नें सुला दिया।
जिसे मौत नहीं आई
उसे मौत ने रुला दिया।
धीमा जहर असर कर रहा है।
मिकग्रस्त
तिल तिल मौत मर रहा है।
सबको श्रद्धांजलि!
 – हेमन्त बावनकर

आपसे अनुरोध है कि हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार जो आज भी हमारे बीच उपस्थित हैं और जिन्होंने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में लगा दिया उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को यदि हम अपनी पीढ़ी एवं आने वाली पीढ़ी से साझा करें तो उन्हें निश्चित ही ई- अभिव्यक्ति के माध्यम से चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेने जैसा क्षण होगा। इस प्रयास में हमने आचार्य भगवत दुबे जी एवं डॉ राजकुमार ‘ सुमित्र’ जी की चर्चा की है। इस रविवार हम प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर  ससम्मान आलेख प्रकाशित कर रहे हैं।  आपसे अनुरोध है कि ऐसी वरिष्ठतम  पीढ़ी के मातृ-पितृतुल्य पीढ़ी के कार्यों को सबसे साझा करने में हमें सहायता प्रदान करें। 

आज बस इतना ही।

हेमन्त बावनकर

7 दिसंबर  2019

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 43 ☆ श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे जी एवं कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी को शुभकामनायें ☆ – हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति:  संवाद–43

☆ श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे को उनके अमृत महोत्सव (75 वांजन्मदिवस) 

एवं 

कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी को शोध पत्र “हिंदी-उर्दू  अनुवादों के माध्यम से अंतर-सांस्कृतिक संवाद”

के लिए हार्दिक शुभकामनायें

 

प्रिय मित्रों,

आज के संवाद के माध्यम से मुझे पुनः आपसे विमर्श का अवसर प्राप्त हुआ है।

हमें अत्यंत प्रसन्नता है कि ई- अभिव्यक्ति से सम्बद्ध साहित्यकारों को समय समय पर विभिन्न सम्मान और पुरस्कारों से सम्मानित / अलंकृत होने के अवसर प्राप्त होते रहते हैं।  हम उन सभी साहित्यकारों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं एवं उन्हें साहित्य के क्षेत्र में नए आयामों को सफलतापूर्वक पाने के लिए ह्रदय से शुभकामनाएं देते हैं।

सर्वप्रथम मैं वरिष्ठ मराठी साहित्यकार एवं अग्रजा श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे को उनके अमृत महोत्सव (75 वें जन्मदिवस) के शुभ अवसर पर आप सब की और से स्वस्थ जीवन की हार्दिक शुभकामनाएं  देना चाहता हूँ। मैं उनके इस वय में भी समय के साथ स्वयं को परिवर्तित कर तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने की अद्भुत लालसा से अत्यंत प्रभावित हूँ एवं अपनी प्रेरणा स्त्रोत के रूप में देखता हूँ। वे हम सबके लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं एवं हमें किसी भी वय में  सीखने  के लिए प्रेरित करती हैं।

हम वरिष्ठ एवं बहुआयामी प्रतिभा के धनी साहित्यकार मित्र कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि  के लिए हार्दिक बधाई देते हैं।  कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी को इंद्रप्रस्थ महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय में 9 से 11 जनवरी 2020 को  आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन ” हिंदी : वैश्विक परिप्रेक्ष्य – भाषा, साहित्य और अनुवाद” में भागीदारी और उनके शोध पत्र “हिंदी – उर्दू  अनुवादों के माध्यम से अंतर  – सांस्कृतिक  संवाद”  को प्रस्तुत करने की स्वीकृति प्राप्त हुई है। यह कार्यक्रम दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा कोलंबिया  विश्वविद्यालय  एवं न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोजित किया गया है। 

यह हम सब के लिए गर्व का विषय है।

ई-अभिव्यक्ति से परोक्ष एवं अपरोक्ष  रूप से सम्बद्ध सभी साहित्यकार मित्रों को उनकी साहित्यिक यात्रा में ऐसे  उन्नतअवसरों के लिए हमारी हार्दिक शुभकामनाएं।

आपसे अनुरोध है कि ऐसे सुअवसरों को ई – अभिव्यक्ति  के माध्यम से अवश्य साझा करें। हमें आपकी सफलता की सूचना मित्र साहित्यकारों से साझा करने में अत्यंत प्रसन्नता होगी।

 

हेमन्त बावनकर

8 नवम्बर 2019

( व्यक्तिगत एवं तकनीकी कारणों से 8 एवं 9 नवम्बर का संयुक्तांक प्रकाशित करने के लिए हार्दिक खेद है । आपके स्नेह के लिए आभार ।)

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हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – संवाद – # 5 ☆ झूठी आधुनिकता ☆ – डॉ. ऋचा शर्मा

डॉ. ऋचा शर्मा

(डॉ. ऋचा शर्मा जी को लघुकथा रचना की विधा विरासत में  अवश्य मिली है.  किन्तु ,उन्होंने इस विधा को पल्लवित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी . उनकी लघुकथाएं और उनके पात्र हमारे आस पास से ही लिए गए होते हैं जिन्हें वे वास्तविकता के धरातल पर उतार देने की क्षमता रखती हैं.  अब आप  ई-अभिव्यक्ति में  प्रत्येक गुरुवार को उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ सकेंगे. आज प्रस्तुत है उनकी ऐसी ही सत्य के धरातल पर लिखी गई लघुकथा “झूठी आधुनिकता”)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – संवाद – # 5 ☆

☆ लघुकथा – झूठी आधुनिकता ☆ 

गणपति पूजा का अंतिम दिन। गणपति विसर्जन की धूमधाम थी, शॉर्ट्स, टी शर्ट और हाई हील सेंडिल में वह ढ़ोल की ताल पर थिरक रही थी। पास ही उसकी बड़ी बहन भी थी, जो एअर होस्टेज है। दोनों बहनें गणपति उत्सव के लिए छुट्टी लेकर घर आई हैं। वेशभूषा से दोनों  आधुनिक लग रही थीं। लड़कियों के आधुनिक पहनावे को देखकर ऐसा लगता है कि महिलाओं का विकास हो रहा है? समाज में कुछ बदलाव आ रहा है?

ढ़ोल तासे की आवाज थोड़ी कम होने पर पड़ोस की एक महिला ने पूछा- “मिनी! कब आई तुम लंदन से?”

“आज ही आई हूँ आँटी।“

“अच्छा गणपति विसर्जन के लिए आई होगी? गणपति बैठाले (स्थापना) हैं ना?”

“अरे नहीं आंटी। हम दो बहनें ही हैं, भाई तो है नहीं, इसलिए हम घर पर गणपति स्थापना नहीं करते। मॉम मना करती हैं ………………।”

नकली आधुनिकता की चादर सर्र………… से सरक गई। वास्तविकता उघड़ी पड़ी थी।

 

© डॉ. ऋचा शर्मा,

122/1 अ, सुखकर्ता कॉलोनी, (रेलवे ब्रिज के पास) कायनेटिक चौक, अहमदनगर (महा.) – 414005

e-mail – [email protected]  मोबाईल – 09370288414.

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 42 ☆ ई-अभिव्यक्ति की प्रथम वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनायें ☆ – हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति:  संवाद–42

 

☆ ई-अभिव्यक्ति की प्रथम वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनायें ☆

 

15 अक्तूबर 2018 की रात्रि एक सूत्रधार की मानिंद जाने अनजाने मित्रों, साहित्यकारों को एक सूत्र में पिरोकर कुछ नया करने के प्रयास से एक छोटी सी शुरुआत की थी। आप सब की शुभकामनाओं से अब लगता है कि सूत्रधार का कर्तव्य पूर्ण करने के लिए जो प्रयास प्रारम्भ किया था उसका सार्थक एवं सकारात्मक परिणाम फलीभूत हो रहा है.  कभी कल्पना भी नहीं थी कि इस प्रयास में इतने सम्माननीय वरिष्ठ साहित्यकार, मित्र  एवं पाठक जुड़ जाएंगे और इतना प्रतिसाद मिल पाएगा.

यदि मजरूह सुल्तानपुरी जी के शब्दों में कहूँ तो –

मैं अकेला ही चला था ज़ानिब-ए-मंज़िल मगर,

लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।

“अभिव्यक्ति” शब्द को साकार करना इतना आसान नहीं था। जब कभी अभिव्यक्ति की आज़ादी की राह में  रोड़े आड़े आए तो डॉ.  राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’ जी के आशीर्वाद स्वरूप निम्न पंक्तियों ने संबल बढ़ाया –

सजग नागरिक की तरह

जाहिर हो अभिव्यक्ति।

सर्वोपरि है देशहित

बड़ा न कोई व्यक्ति।

इस यात्रा में कई अविस्मरणीय पड़ाव आए जो सदैव मुझे कुछ नए प्रयोग करने हेतु प्रेरित करते रहे। कई तकनीकी एवं साइबर समस्याओं का सामना भी करना पड़ा. इनकी चर्चा हम समय समय पर आपसे करते रहेंगे। मित्र लेखकों एवं पाठकों से समय-समय पर प्राप्त सुझावों के अनुरूप वेबसाइट में  साहित्यिक एवं अपने अल्प तकनीकी ज्ञान से वेबसाइट को बेहतर बनाने के प्रयास किए।

इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में  ई-अभिव्यक्ति की नींव डालने में कई सम्माननीय वरिष्ठ साहित्यकारों, मित्रों, लेखकों एवं पाठकों का सहयोग प्राप्त हुआ. उनके सम्मान की इस वेला में में किसी एक का नाम भी छूटना मेरे लिए कष्टप्रद होगा. अतः मैं प्रयास कर रहा हूँ  कि सभी से व्यक्तिगत संवाद बना कर धन्यवाद दे सकूँ.

इस संवाद के लिखते तक मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि 15 अक्तूबर 2018 से आज तक  एक वर्ष में कुल 1905 रचनाएँ प्रकाशित की गईं। उन रचनाओं पर 1606 कमेंट्स प्राप्त हुए और इन पंक्तियों के लिखे जाने तक  75300 से अधिक सम्माननीय लेखक/पाठक विजिट कर चुके हैं।

ई-अभिव्यक्ति की प्रथम वर्षगांठ पर आप सबको पुनः हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.  

 

हेमन्त बावनकर

15 अक्टूबर 2019

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 41 – ☆ ई-अभिव्यक्ति -गांधी स्मृति विशेषांक☆ – हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 40                

 

☆ ई-अभिव्यक्ति -गांधी स्मृति विशेषांक ☆

 

सम्माननीय लेखक एवं पाठक गण सादर अभिवादन

 

हम अत्यंत कृतज्ञ है हमारे सम्माननीय गांधीवादी चिन्तकों, समाजसेवियों एवं सभी सम्माननीय वरिष्ठ एवं समकालीन लेखकों के जिन्होंने इतने कम समय में हमारे आग्रह को स्वीकार किया.  इतनी उत्कृष्ट रचनाएँ सीमित समय में उत्कृष्टता को बनाये रखते हुए एक अंक में प्रकाशित करने के लिए असमर्थ पा रहे थे। इसलिए ई-अभिव्यक्ति -गांधी स्मृति विशेषांक के स्तर और गुणवत्ता को बनाए रखने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया कि ई-अभिव्यक्ति -गांधी स्मृति विशेषांक को दो अंकों में प्रकाशित किया जाए और साप्ताहिक स्तंभों को दो दिनों के लिए स्थगित किया जाए।

हमें यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि हमारे सम्माननीय लेखकों/पाठकों ने इस प्रयास को हृदय से स्वीकार किया एवं हमें अपना सहयोग प्रदान किया।

आज के दिन महात्मा गांधी जी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी ने जन्म लिया था। साथ ही यह वर्ष बा और बापू कि 150वीं जयंती का भी अवसर है।

हम ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से उन्हें सादर नमन करते हैं।

इस विशेषांक के प्रकाशन को हमने महज 4 दिनों के अथक प्रयास से सफलता पूर्वक प्रकाशित किया है। इस विशेषांक के प्रकाशन के लिए हम प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक एवं समाजसेवी श्री मनोज मीता जी, प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक  श्री राकेश कुमार पालीवाल जी, महानिदेशक (आयकर) हैदराबाद, व्यंग्य शिल्पी एवं संपादक श्री प्रेम जनमेजय, डॉ सुरेश कांत, गांधीवादी चिनक श्री अरुण डनायक, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कुंदन सिंह परिहार,  डॉ मुक्ता (राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत) एवं पूर्व निदेशक हरियाणा साहित्य अकादमी तथा समस्त सम्माननीय लेखकगणों के हम हृदय से आभारी हैं। साथ ही सम्माननीय लेखक जो हाल ही में ई-अभिव्यक्ति से जुड़े हैं उनका स्वागत करते हैं.

इस सफल प्रयास के लिए अग्रज एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी के समर्पित सहयोग के बिना इस विशेषांक के प्रकाशन की कल्पना ही नहीं कर सकता।

इस अंक में हमने पूर्ण प्रयास किया है कि- हम स्वतन्त्रता की अभिव्यक्ति का सकारात्मक प्रयोग करें। व्यंग्य विधा में साहित्यिक रचना की प्रक्रिया में सकारात्मकता एवं नकारात्मकता के मध्य एक महीन धागे जैसा अंतर ही रह जाता है। हम अपेक्षा करते हैं कि आप साहित्य को सदैव सकरात्मक दृष्टिकोण से ही लेंगे।

इस विशेषांक के सम्पादन की प्रक्रिया से मुझे काफी कुछ सीखने को मिला। इस प्रक्रिया और आत्ममंथन से जिस कविता का सृजन हुआ, वह आपसे साझा करना चाहता हूँ।

 

बापू!

तुम पता नहीं कैसे

आ जाते हो

व्यंग्यकारों के स्वप्नों में?

किन्तु,

मत आना बापू

कभी भी मेरे स्वप्नों में।

 

न तो मैं

तुम पर कोई फिल्म बनाकर

सफल बनना चाहता हूँ

और

न ही करना चाहता हूँ

अपने विचार कलमबद्ध

तुम्हारे कंधों का सहारा लेकर।

बेशक,

मेरे कंधे उतने मजबूत न हो

गांधी के कंधों की तरह।

 

क्यों कोई नहीं चाहता

आत्मसात करना

गांधी दर्शन?

क्यों

कोई नहीं ढूँढता लोगों में गांधी?

क्यों लोग ढूँढना चाहते हैं

गांधी में व्यंग्य

क्यों नहीं ढूंढते

गांधी में गांधी

गांधी में गांधी-दर्शन ?

क्यों

लोगों को दिखता हैं

गांधी में

सफलता का सूत्र?

 

मैं नहीं बन सकता गांधी

और

न ही बनना चाहता हूँ गांधी

क्योंकि

एक गांधी का जन्म

एक बार ही होता है

एक सदी में।

हाँ,

कर सकता हूँ

गांधी से सीखने का प्रयास

किन्तु,

नहीं कर सकता

गांधी पर परिहास।

 

आज बस इतना ही।

 

हेमन्त बावनकर

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 40 – ☆ ई-अभिव्यक्ति में तकनीकी संवर्धन ☆ – हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 40                

☆ ई-अभिव्यक्ति में तकनीकी संवर्धन ☆

 

सम्माननीय लेखक एवं पाठक गण सादर अभिवादन.

हमारा प्रयास है कि हम समय समय पर  सम्माननीय लेखकों एवं पाठकों के सुझावों पर अमल करने का प्रयास करें. जैसे आवश्यकता अविष्कार की जननी है वैसे ही सायबर युग में आवश्यकता तकनीकी संवर्धन की भी जननी होती है .

काफी समय पूर्व एक मित्र लेखक ने पूछा था कि यदि मुझे अपनी कोई रचना वेबसाइट पर ढूंढना हो तो क्या करना होगा.  उस समय लगा कि हाँ यह तो जरुरी है. आखिर हजारों रचनाओं (पोस्ट्स)  में अपनी रचनाएँ कैसे ढूंढी जाये. उस समय “Search” सुविधा उपलब्ध की गई थी. यह सुविधा आपको  वेबसाइट में आपकी ही नहीं अपितु किसी भी लेखक की रचना ढूंढने में मदद करेगी.  आपको मात्र लेखक का नाम टाइप करना है.   यह सुविधा मात्र ई-अभिव्यक्ति तक ही सीमित है इससे आप गूगल सर्च में नहीं जायेंगे.

सर्च उदहारण

 

अभी कुछ समय पूर्व एक और लेखक मित्र ने चाहा कि हमारी वेबसाइट में प्रिंट की सुविधा भी होनी चाहिए वैसे यदि साधारण प्रिंट कमांड दिया जावे तो अनावश्यक विज्ञापन और स्क्रीन के अन्य तथ्य भी प्रिंट हो जाते हैं. यह वास्तव में एक अत्यावश्यक सुविधा है. अतः अब ई-अभिव्यक्ति  पर आप प्रिंट सुविधा भी पा सकेंगे. आपको प्रत्येक रचना/पोस्ट के दाहिने ऊपर (Top) ओर एवं दाहिनी नीचे (Bottom)की ओर प्रिंटर का छोटा सा चिन्ह दिखाई देगा . इस चिन्ह पर क्लिक कर आप अपनी /अपने प्रिय लेखक की कोई सी भी रचना उपरोक्त स्क्रीन से सर्च कर अथवा रचना/पोस्ट से सीधे प्रिंट कर सकते हैं.

उदहारण –  रचना/पोस्ट के दाहिने ऊपर (Top) पर प्रिंटर के चिन्ह पर क्लिक करें 

उदहारण – रचना/पोस्ट के दाहिनी नीचे (Bottom) पर प्रिंटर के चिन्ह पर क्लिक करें 

आशा है इस सुविधा का हमारे सुधि लेखक एवं पाठक गण सदुपयोग करेंगे.  आपके सुझावों का सदैव स्वागत है. हम सकारात्मक सुझावों पर कार्य करने हेतु सदैव तत्पर हैं.

इन पंक्तियों के लिखे जाने तक हमारे सम्माननीय विजिटर्स की संख्या 64,000 पार कर चुकी होगी. इसके लिए आप सभी का ह्रदय से आभार.

 

आपकी शुभकामनाएं ही मुझे ऊर्जा देती है.

 

हेमन्त बावनकर

22  सितम्बर  2019

(अपने सम्माननीय पाठकों से अनुरोध है कि- प्रत्येक रचनाओं के अंत में लाइक और कमेन्ट बॉक्स का उपयोग अवश्य करें और हाँ,  ये रचनाओं के शॉर्ट लिंक्स अपने मित्रों के साथ शेयर करना मत भूलिएगा। आप Likeके नीचे Share लिंक से सीधे फेसबुक  पर भी रचना share कर सकते हैं। )

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 39 – हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 39

श्री गणेशाय नमः 

सम्माननीय लेखक एवं पाठक गण सादर अभिवादन.

परसाई-स्मृति अंक के पश्चात आपसे पुनः संवाद करने का अवसर प्राप्त हो रहा है.  24 अगस्त 2019 के पश्चात आप से ई-अभिव्यक्ति के माध्यम से  संपर्क  एवं रचनाएँ प्रकाशित न कर पाने का अत्यंत दुःख है.

संभवतः ई-अभिव्यक्ति या ऐसी ही किसी भी लोकप्रिय होती हुई वेबसाईट की बढ़ती हुई लोकप्रियता एवं  बढ़ती हुई विजिटर्स की संख्या के कारण वायरस/हैकिंग जैसी तकनीकी  समस्याओं और उतार चढ़ाव से गुजरना होता है.

हमारे लिए हमारे व्यक्तिगत डाटा के साथ ही हमारे सम्माननीय लेखकों एवं पाठकों का डाटा भी उतना ही महत्वपूर्ण है.  इस महत्वपूर्ण तथ्य को ध्यान में रख कर हमने कुछ दिनों का विराम लेकर ई-अभिव्यक्ति को सुरक्षा की दृष्टि से और सुदृढ़ करने का प्रयास किया है. 

अब आपकी वेबसाइट https://www.e-abhivyakti.com के स्थान पर सुरक्षित वेबसाइट (Secured Website)  https://www.e-abhivyakti.com हो गई है. किन्तु, आपको अपनी ओर से तकनीकी तौर पर कुछ भी नहीं करना है और जैसा पहले ऑपरेट या प्रचालित करते थे वैसे ही करना है और आप अपनी सुरक्षित वेबसाइट पर पहुँच जायेंगे. आपको  e-abhivyakti.com के पहले एक ताले (सुरक्षा) का चिन्ह दिखाई देगा. बड़े बूढ़े कह गए हैं कि ताले शरीफों के लिए होते हैं, फिर भी लगाना तो पड़ता ही है सो लगा दिया.

आप से अनुरोध है कि कृपया [email protected]  (यह  अकाउंट डिलीट कर दिया गया है) के स्थान पर [email protected] का प्रयोग करें.   

 इस पूरी प्रक्रिया के समय आपने जिस संयम का परिचय दिया है उसका मैं ह्रदय से आभारी हूँ. अब आप से पुनः पूर्ववत सम्बन्ध बना रहेगा ऐसी गणपति बप्पा से अपेक्षा है.

हम कल श्री गणेश चतुर्थी पर्व (2 सितम्बर 2019) से पुनः आपकी सेवा में उपस्थित होने का प्रयास करेंगे.

फिर देर किस बात की. कलम उठाइये और भेज दीजिये  श्री गणेश जी से सम्बंधित रचनाएँ इस पूरे सप्ताह. सप्ताह के अंत में हम विशेषांक के समस्त लिंक एक पोस्ट पर प्रकाशित करेंगे जिसमें आप समस्त रचनाएँ एक साथ पढ़ सकेंगे.

अन्य साप्ताहिक स्तंभ यथावत चलते रहेंगे.

हमें आपकी हिंदी, मराठी एवं अंग्रेजी की चुनिंदा एवं मौलिक रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी.

 

हेमन्त बवानकर 

1  सितम्बर 2019

 

(अपने सम्माननीय पाठकों से अनुरोध है कि- प्रत्येक रचनाओं के अंत में लाइक और कमेन्ट बॉक्स का उपयोग अवश्य करें और हाँ,  ये रचनाओं के शॉर्ट लिंक्स अपने मित्रों के साथ शेयर करना मत भूलिएगा। आप Likeके नीचे Share लिंक से सीधे फेसबुक  पर भी रचना share कर सकते हैं। )

 

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 38 – हेमन्त बावनकर

 

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 38 

 

परसाई स्मृति अंक – 22 अगस्त 2019 

 

आदरणीय गुरुवर डॉ राजकुमार सुमित्र जी और आचार्य भगवत दुबे जी के आशीर्वाद एवं मित्र द्वय श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी के अथक प्रयास तथा डॉ विजय तिवारी ‘किसलय’ जी के सहयोग से विगत 24 घंटों के समय में यह अविस्मरणीय अंक कुछ विलंब से ही सही आपको इस आशा से सौंप रहा हूँ कि आपका भरपूर स्नेह और आशीर्वाद मिलता रहेगा।

मैं श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी का हृदय से आभारी हूँ  जिन्होने इतने कम समय पर अमूल्य सामग्री/साहित्य/अप्रकाशित/ऐतिहासिक तथ्य एवं चित्र जुटाये। साथ ही उनके अतिथि संपादकीय के आग्रह स्वीकार करने के लिए हृदय से आभार।

श्रद्धेय परसाई जी पर डिजिटल मीडिया में संभवतः यह प्रथम प्रयास होगा।

 

हेमन्त बवानकर 

22 अगस्त 2019

 

(अपने सम्माननीय पाठकों से अनुरोध है कि- प्रत्येक रचनाओं के अंत में लाइक और कमेन्ट बॉक्स का उपयोग अवश्य करें और हाँ,  ये रचनाओं के शॉर्ट लिंक्स अपने मित्रों के साथ शेयर करना मत भूलिएगा। आप Likeके नीचे Share लिंक से सीधे फेसबुक  पर भी रचना share कर सकते हैं। )

 

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 37 – हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 37

 

मेरा सदैव प्रयत्न रहता है कि मैं ई-अभिव्यक्ति से जुड़े प्रत्येक सम्माननीय लेखक एवं पाठकों से संवाद बना सकूँ। मैं सीधे तो संवाद नहीं बना पाया किन्तु, सम्माननीय लेखकों की रचनाओं के माध्यम से अवश्य जुड़ा रहा।  एक कारण यह भी रहा कि हम  ई-अभिव्यक्ति को तकनीकी दृष्टि से और सशक्त बना सकें ताकि हैकिंग एवं संवेदनशील विज्ञापनों से बचा सकें। अंततः इस कार्य में आप सबकी सद्भावनाओं से हम सफल भी हुए।

ई-अभिव्यक्ति में बढ़ती हुई आगंतुकों की संख्या हमारे सम्माननीय लेखकों एवं हमें प्रोत्साहित करती हैं।  हम कटिबद्ध हैं आपको और अधिक उत्कृष्ट साहित्य उपलब्ध कराने  के लिए।

 

हम प्रयासरत हैं कि आपको तकनीकी रूप से आगामी अंकों को नए संवर्धित स्वरूप में प्रस्तुत किया जा सके।

अब मेरा प्रयास रहेगा कि आपसे ई-संवाद अथवा अपनी रचनों के माध्यम से जुड़ा रहूँ ।

अंत में मैं पुनः इस यात्रा में आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ और मजरूह सुल्तानपुरी जी की निम्न पंक्तियाँ  दोहराना चाहता हूँ :

 

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर

लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया

आज बस इतना ही।

 

हेमन्त बवानकर 

12 अगस्त 2019

 

(अपने सम्माननीय पाठकों से अनुरोध है कि- प्रत्येक रचनाओं के अंत में लाइक और कमेन्ट बॉक्स का उपयोग अवश्य करें और हाँ,  ये रचनाओं के शॉर्ट लिंक्स अपने मित्रों के साथ शेयर करना मत भूलिएगा।)

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद-35 – कविराज विजय यशवंत सातपुते (सोशल मिडिया चा यशस्वी वापर …. अभिव्यक्ती ठरली अग्रेसर!)

कविराज विजय यशवंत सातपुते

अतिथि संपादक – ई-अभिव्यक्ति:  संवाद–35  

 

(मैं कविराज विजय यशवंत सातपुते  जी का हृदय से आभारी हूँ। उन्होने मेरा आग्रह स्वीकार कर आज के अंक के लिए अतिथि संपादक के रूप में अपने उद्गार प्रकट किए। श्री दीपक करंदीकर जी, महाराष्ट्र साहित्य परिषद, पुणे के माध्यम से आपसे संपर्क हुआ और पता ही नहीं चला कि कब मित्रता हो गई।  ई-अभिव्यक्ति के मराठी साहित्य को इन ऊंचाइयों तक पहुंचाने में आदरणीय कविराज विजय यशवंत सातपुते जी का विशेष योगदान रहा है।  आपके माध्यम से वरिष्ठ, अग्रज एवं नवोदित साहित्यकारों को ई-अभिव्यक्ति से जोड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मराठी साहित्य का अपना एक समृद्ध इतिहास रहा है। यदि ई-अभिव्यक्ति इस यज्ञ में मराठी साहित्य और साहित्यकारों से पाठकों को कुछ अंश तक भी जोड़ने में सफल हुआ तो यह हमारा सौभाग्य होगा। – हेमन्त बावनकर)

 

? सोशल मिडिया चा यशस्वी वापर .. 

         . . . अभिव्यक्ती ठरली  अग्रेसर. !  ?

 

ई-अभीव्यक्ती डॉट कॉम हे हिंदी, मराठी व इंग्रजी भाषिक साहित्यिकांसाठी हेमंत बावनकर यांनी सुरू केलेले व्यासपीठ चांगलेच नावारूपाला आले आहे. वाचकांचे वाढते प्रमाण लक्षात घेता या  उपक्रमाचे यथोचित कौतुक व्हायला हवे.

संगणक तंत्रज्ञान विकसित झाल्याने जग एकमेकांशी जास्त जवळ आले आहे. ही जवळीक एकता,  साहित्य, संस्कृती, परंपरा आणि  इतिहास यांची सांगड घालणारी ठरावी यासाठी हेमंत बावनकर  आजही  कार्यरत आहेत.

कथा, कविता  आणि लेख यातून प्रत्येक जण व्यक्त होत आहे. आपल्या कलेतून समाज प्रबोधन करीत आहे.  आबालवृद्धांना उपयुक्त  असे लेखन मराठी, हिंदी व इंग्रजी भाषेतून या साईटवरून प्रसारित होत आहे.  सोशल नेटवर्किंग साईट वर ही  उपलब्धी साहित्याचा प्रचार  आणि प्रसार करण्यात  अग्रेसर ठरली आहे.

मराठी भाषिकांना सुरू केलेले हे नियमित साप्ताहिक स्तंभलेखन मराठी भाषा संवर्धनाचे महत्त्व पूर्ण कार्य करीत आहे.  अनेक  उत्तम कविता,  कथा, लेख वाचकांसमोर येत  आहेत. माणूस विचारांनी  एकमेकांशी जोडला जातोय ही घटना सामान्य नसून जागतिक  आहे. या लेखन संघटनाबद्दल त्यांचे मनापासून आभार.   मराठी, हिंदी भाषिकांना प्रकाशझोतात आणण्यासाठी त्यांनी  उभारलेल्या या साहित्य चळवळीस,  अभिनव साहित्य  उपक्रमास दिवसेंदिवस उत्तम यश मिळते  आहे. भाषा कोणतही असो, प्रतिभावंत साहित्यिकाची अभिव्यक्ती रसिकांपर्यत पोहोचविण्याचे महत्त्व पूर्ण कार्य  हेमंत जी करीत आहेत.

विविध प्रकारच्या विषयावर प्रसारित होणाऱ्या लेखातून समाजप्रबोधन तर होतेच  आहे. या  उपक्रमात लिहिणा-या लेखकांना प्रसिद्धी तर मिळतेच  आहे पण त्यांना रसिकांच्या प्रतिसादातून मिळणारे प्रोत्साहन त्यांचा दैनंदिन लेखन कला व्यासंग वाढवतो आहे. कौटुंबिक प्रांतिक,  प्रादेशिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक विचारांनी हे व्यासपीठ ज्ञानदान करते आहे. माणूस माणसाच्या जवळ आणण्याचे काम त्याचे साहित्य करीत  असते.

आपण काय लिहतो? कसे लिहितो? का लिहितो याचे आकलन  आपोआपच होते  आहे. या  उपक्रमातील लेखक जास्तीत जास्त लोकांपर्यत पोहोचावा. जागतिक स्तरावर कवी, कवयित्री लेखक यांचे  लेखन  अनुवादित व्हावे या हेतूने सुरू झालेला हा  उपक्रम  अतिशय स्तुत्य  आणि प्रशंसनीय आहे.

हेमंत बावनकर यांनी माणूस जोडण्याचे  अभियान हाती घेतले आहे .या  अभियानात लेखकांनी दिलेले योगदान तितकेच प्रशंसनीय आहे.  वाचन संस्कृती टिकविण्यासाठी उचलेले हे पाऊल  सोशल नेटवर्किंग साईट वर जास्तीत जास्त प्रवास करून जागतिक स्तरावर  विचारांचे आदान प्रदान करण्यात यशस्वी ठरो या शुभेच्छा.

 

✒ विजय यशवंत सातपुते, पुणे

अतिथि संपादक- ई-अभिव्यक्ति

यशश्री, 100 ब दीपलक्ष्मी सोसायटी,  सहकारनगर नंबर दोन, पुणे 411 009.

मोबाईल  9371319798.

5 जुलै 2019

 

(उत्कृष्ट साहित्य  पढ़ें तथा व्हाट्सएप पर भेजे हुए शॉर्ट लिंक्स अपने मित्रों से सोशल मीडिया (फेसबुक/व्हाट्सएप) पर  अवश्य शेयर करें – हेमन्त बावनकर)

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